30 की उम्र के बाद बेहद महत्वपूर्ण कोलेजन, शरीर को रखे ऊर्जा से लबरेज

30 की उम्र के बाद शरीर में आने वाले कई बदलावों के बीच कोलेजन (Collagen) का महत्व काफी बढ़ जाता है, इसका स्तर बनाए रखना काफी अहम हो जाता है। खासकर उस वक्त जब कुछ जरूरी प्रोटीन के बनने की क्षमता कम होने लगती है। जो कोलेजन शरीर में अपने आप से बनता है उसे एंडोजेनस कोलेजन (Endogenous collagen) कहते हैं जो कई तरह की शारीरिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। वहीं बाहरी स्रोत से निर्मित एक्सोजेनस कोलेजन (Exogenous collagen) कहलाता है। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यहां यह जानना जरूरी है कि कोलेजोन के स्तर को शरीर में एक उम्र के बाद कैसे बनाए रखें।

कोलेजन क्या है  (What is collagen)?
यह एक जरूरी प्रोटीन है जो शरीर में सेल और टिश्यू की मरम्मत करने का काम करता है। कोलेजन एक ठोस, अघुलनशील और रेशेदार प्रोटीन है। शरीर में जितना प्रोटीन होता है, यह उसका एक तिहाई हिस्सा होता है। वैसे तो करीब 16 विभिन्न प्रकार के कोलेजन मौजूद होते हैं पर 80 से 90 प्रतिशत कोलेजन की मात्रा सिर्फ कोलेजन​ टाइप 1, कोलेजन​ ​टाइप 2 और कोलेजन​ ​टाइप 3 की होती है। हमारी बाॅडी में नई कोशिकाओं से कोलेजन निकलता है। स्किन के भीतर कोलेजन रेशों की मदद से कोशिकाओं का एक रेशेदार जाल सा बनाता है। जिसे फाइब्रोब्लास्ट कहते हैं। जो स्किन से मृत कोशिकाओं को हटाने और नई कोशिकाओं को बनाने का काम करता है। कई बार देखा गया है कि ज्यादा धूम्रपान और शराब के सेवन, ज्यादा तेज धूप में रहने, व्यायाम की कमी, पर्याप्त मात्रा में पानी ना पीने से भी कोलेजन कम होने लग जाता है।

क्यों जरूरी कोलेजन (Collagen)?
तीस की उम्र के बाद आपको जवां रहना हो या हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत, त्वचा को सुंदर, बालों को मुलायम, मजबूत और चमकदार बनाए रखना हो इसके लिए कोलेजन बहुत जरूरी है। कोलेजोन शरीर को ऊर्जा से लबरेज रखता है। इसकी कमी शरीर को कई प्रकार के नुकसान पहुंचा सकती है।

बॉडी को पर्याप्त मात्रा में यह प्रोटीन नहीं मिले तो सेल के आकार बिगड़ सकते हैं, स्किन पतली हो सकती है, लिंगामेंट का लचीलापन कम हो सकता है, हड्डियां कमजोर हो सकती है। स्किन पर रिंकल्स और पिंपल्स की समस्या बढ़ने लगती है। कोलेजन कनेक्टिव टिशु और पाचन तंत्र को सुरक्षा प्रदान करने वाले स्तर को मजबूत बनाता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि आंतों की प्रक्रिया में बाधा के कारण आपके खून में कई तरह के तत्व पहुंच सकते हैं और इसकी वजह से सूजन भी हो सकती है।

कोलेजन शरीर में किडनी जैसे अंगो की रक्षा करने का काम भी करता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कोलेजन की कमी होने लगती है। यह कमी त्वचा से जुड़ी बीमारियों का करण बनती है। खासकर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद अक्सर कोलेजन की कमी होने लगती है जिससे चेहरे पर झुर्रियां होने लगती है। कोलेजन ब्लड वेसल्स की दीवारों को मजबूत बनाकर दिल की सेहत भी बनाए रखता है।

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कोलेजन (Collagen) के लिए क्या खाएं?
हम अपने खाद्य पदार्थों में कुछ खाद्य पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में शामिल करें तो कोलेजन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले अपने आहार में नींबू, संतरे जैसे खट्टे फल शामिल करें। यह विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो कोलेजन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं। फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करते है। विटामिन सी एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो कोलेजन के संश्लेषण को बढ़ाता है।

ब्रोकली और पालक जैसी हरी सब्जियां आहार में शामिल करें क्योंकि धुएं, धूल, सिगरेट के धुएं, तेज धूप के संपर्क के कारण कोलेजन क्षति को रोकने में मददगार हैं। कुछ लाल रंग की सब्जियों में लाइकोपीन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो कोलेजन को बढ़ाती हैं। चुकंदर, लाल मिर्च और टमाटर से आप इस एंटीऑक्सीडेंट को प्राप्त कर सकते हैं। शकरकंद और गाजर जैसे नारंगी सब्जियों से कोलेजन की पूर्ति की जा सकती है। इनमें विटामिन ए मौजूद होता है, जो कोशिकाओं के निर्माण और त्वचा को स्वस्थ रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर काले शहतूत, चेरी, जामुन आदी शरीर में कोलेजन के निर्माण में सहायक होते हैं। लहसुन के अलावा हरे व काले जैतून में सल्फर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो जोड़ो और त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने में कारगर है। अनानास कोलेजन को संश्लेषित करने में मददगार है।

शरीर के लिए स्वस्थ प्रोटीन के रूप में अंडे का सेवन कर सकते है जो कोलेजन उत्पादन में आवश्यक लाइसाइन और प्रोलिन नामक अमीनो एसिड की पूर्ति करता है। मछली में अधिक मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) मौजूद होता है, जो कोशिकाओं के संचार के लिए जरूरी होता है। स्वस्थ कोशिकाएं त्वचा की बनावट में अहम हैं। इससे कोलेजन के निर्माण में मदद मिलती है।

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