एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा की ऊपरी परतों पर क्रोनिक और खुजलीदार सूजन होती है जो अक्सर ऐसे लोगों में होता है जिन्हें फीवर या दमा होता है। या फिर ऐसे लोगों में होता है जिनके परिवार में ऐसी स्थितियों से ग्रस्त कोई सदस्य रहा हो या है।
यह एक तरह का स्किन डिजीज है जिसमें स्किन पर जगह जगह पर सूजन, खुजली, दरारें, खुरदरापन, रूखापन दिखता है। कई बार एक्जिमा फफोले भी पैदा कर सकते हैं। एक्जिमा संक्रामक नहीं होता है।
कई बार नट्स और डेयरी जैसे फूड, धुआं, पराग, साबुन, सुगंधित प्रोडक्ट इसको बढा देते हैं। हालांकि उम्र के साथ एक्जिमा अपने आप ठीक हो जाता है जबकि कुछ लोगों में यह ताउम्र रहता है।
एक्जिमा के प्रकार
एक्जिमा के कई प्रकार हैं जिनमें एटोपिक डर्मेटाइटिस, डिसहिड्रॉटिक एक्जिमा, हाथ पर एक्जिमा,
न्यूरोडर्मेटाइटिस, न्यूमुलर एक्जिमा, स्टैसिस डर्मेटाइटिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस आदि शामिल हैं।
एक्जिमा के लक्षण
बार बार और तेज खुजली होना
लाल या भूरे ग्रे पैच दिखाई देना
खुजलीदार, शुष्क, खुरदरी और परतदार त्वचा
त्वचा पर छोटे उभराव जिनमें खरोंच लगने पर फ्लूइड निकलता है
मोटी, दानेदार और पपड़ीदार त्वचा
आंखों के आसपास की त्वचा का रंग काला हो जाना
संक्रमण के कारण सूखा पीला रिसाव
खुजली करने पर त्वचा की ऊपरी परत का आसानी से निकलना
कई बार त्वचा का सामान्य से मोटा महसूस होना
एक्जिमा के कारण
1. अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली जो किसी ट्रिगर के संपर्क में आने पर आक्रामक रूप से प्रतिक्रिया देता है।
2. कई बार एक्जिमा शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद प्रोटीन के खिलाफ असामान्य प्रतिक्रिया के कारण भी होता है।
3. एक्जिमा में प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों के बीच अंतर बताने की क्षमता खो देती है, जो इन्फ्लमिशन का कारण बनता है।
4. उत्तेजक रासायनिक क्लीनर, साबुन, शैंपू, बबल बाथ और डिटर्जेंट का इस्तेमाल जो त्वचा को ड्राई बनाते हैं।
5. ऊन की तरह खुरदरी खरोंचदार मटेरियल, सिंथेटिक कपड़े।
6. ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण होना।
7. तापमान में परिवर्तन, नमी में अचानक गिरावट।
8. तनाव और फूड एलर्जी।
9. धूल, गंदगी, फफूंद, पालतू जानवर के पर के सम्पर्क में आने से।
10. शरीर का तापमान बढ़ना, पसीना आना।
ऐसे करें बचाव
एक्जिमा से बचना हो तो सबसे अपने अपनी जीवनशैली में बदलाव करें। इनमें तनाव कम करना, खुश रहना, पर्याप्त नींद लेना आदि शामिल है। इसके अलावा उत्तेजित करने वाले कैमिकल युक्त साबुन, डिटर्जेंट, शैंपू के प्रयोग से बचें। खुदरे कपड़े पहनने से बचें। ठंड के मौसम में भी त्वचा शुष्क हो जाती है, इसलिए त्वचा को शुष्क होने से बचाएं। एटोपिक डर्मेटाइटिस से पीड़ित मरीज बार बार त्वचा पर खुजली करने, खरोंचने से बचें। त्वचा को कटने और फटने से बचाएं। त्वचा रोग विशेषज्ञ से निर्देशानुसार ऑइंटमेंट या क्रीम का इस्तेमाल कर त्वचा को मॉइस्चराइज रखें।