सुडोल और सुंदर काया के चक्कर में कीटो डाइट के दुष्प्रभावों को ना करें अनदेखा

हम शरीर को सुंदर और सुडोल बनाने पर इतना ध्यान देते हैं कि हम यह भी भूल जाते हैं कि हम क्या डाइट और कितनी मात्रा में ले रहे हैं। इसका हमारे शरीर पर क्या असर होगा उस पर भी ध्यान नहीं देते हैं। कीटो डाइट भी आजकल चल रहा एक ऐसा ही ट्रेंड है। जिसमें हम वजन को कम करने के लिए कम कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार को चुनते हैं। जो हमारे शरीर में कई जटिलताएं पैदा कर सकता है। ऐसे में कीटो डाइट से जुड़े दुष्प्रभावों को भी जान लेना जरूरी है।

कीटो डाइट के दुष्प्रभाव

1. शरीर मे पानी की कमी
हम वजन कम करने के लिए हमारे भोजन मे उच्च वसा युक्त पढ़ार्थ का सेवन करते हैं। इस तरह का भोजन लेते समय ज्यादा पानी पीने की आवश्यकता होती है जो हम पी नहीं पाते, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा मे पानी नहीं मिल पाता और इसके विपरीत ज्यादा मात्रा में पानी निकल जाने से शरीर में थकान रहती है। बार बार प्यास लगना, पेशाब के रंग मे बदलाव आना, पेशाब का गहरा पीला हो जाना, मुंह का सूख जाना पानी की कमी को दिखाता है।

2 .पाचन से जुड़ी समस्या
हम जब भी कुछ नया अपनी डाइट मे शामिल करते हैं। उसका असर हमारी पाचन शक्ति पर पड़ता है। कीटो डाइट में वसा युक्त व पशुओं से प्राप्त पदार्थों को भोजन में उपयोग मे लिया जाता है। इसमें मांस, मछली, मक्खन, क्रीम जैसे पदार्थो को पचाने में काफी समय लगता है। जिससे पेट सबंधित समस्या होने लगती है। जिसमें बार बार दस्त लगने, कब्ज होने की शिकायते हो सकती है।

3. किडनी रोग
कीटो डाइट हम कार्बस को कम करके वजन कम तो कर लेते हैं लेकिन जिन आहार का सेवन हम कर रहे हैं उनमे वसा की काफी अधिक मात्रा का उपयोग कर रहे होते हैं। इनका लगातार लम्बे वक्त के लिए भोजन में शामिल करना हमारी किडनी पर बुरा असर डाल सकता है। कीटोजनिक आहार में हम प्रोटीन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। जितना तरलीय पदार्थ शरीर को मिलना चाहिए उतना नहीं मिल पता है। अगर प्रोटीन ज्यादा हो जाता है तो यूरिन में जा कर एसिड को बढाता है जिससे किडनी में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

4. दिल की सेहत पर असर
कीटो डाइट आपके दिल की धड़कन को भी तेज कर सकती है। कम कार्बोहाईड्रेट और वसा युक्त भोजन हमारे शरीर को उपयुक्त पोषण नहीं दे पाता जिसका गलत असर हमारे मेटाबॉलिज्म पर पड़ सकता है। उच्च वसा युक्त भोजन और कार्बस की मात्रा कम होने से हमारा गुड़ कोलस्ट्रोल कम होकर बेड कोलस्ट्रोल को बढ़ाने लगता है, जो आगे जाकर दिल संबधित बीमारियों को बढ़ा सकता है।

5. कीटो फ्लू
इस डाइट को फाॅलो करेन पर जब हम अपने खान पान में बदलाव लाते हैं तो हमें कुछ पोषक तत्वों को त्यागना पड़ता है। जिनकी जरुरत शरीर को होती है और कुछ नया अपनाते है तो उसकी क्रिया प्रतिक्रिया का असर शरीर पर एक फ्लू की तरह दिखता है। जब हम उच्च वसा वाला भोजन करने लगते हैं तब हमारे शरीर में ग्लूकोज की धीरे धीरे कमी होती जाती है जिसके परिणामस्वरूप हमें घबराहट होने लगती है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। सुस्ती आना, शरीर मे दर्द का रहना, बेचैनी महसूस होने लगती है। हमारे दिमाग पर भी इसका असर देखा जा सकता है। कम कार्बस वजन कम करने मे तो सहायक हैं लेकिन हमारा दिमाग सही से कार्य करे उसके लिए हमें ज्यादा कार्बस हमारे भोजन में लेना जरूरी होता है। यदि जरूरत से कम कार्बस लेते हैं तो उनका दुष्प्रभाव दिमाग पर देखा जाता है जिसके कारण सिर मे दर्द, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देने की शिकायत हो सकती है।

6. पोषण युक्त आहार की कमी
अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर में पोषण युक्त आहार की आवश्यकता होती है। जिससे हमारे शरीर का प्रत्येक अंग सही से कार्य कर सके और ऐसे पोषक तत्व हमें फल और सब्जियों से प्राप्त होते है। कीटो डाइट मे फाइबर युक्त आहार को कम ले पाते हैं। आयरन की कमी भी देखी जाती है। विटामिन बी और सी की पूर्ति कीटोजनिक आहार मे पूरी नहीं हो पाती। भरपूर आहार जो हमारे शरीर को केल्शियम, विटामिन, प्रोटीन और मिनरल कि कमी नहीं होने देता है। कीटो डाइट में इन सब की कमी देख सकते हैं।

7. वजन का दुबारा बढ़ना
हम कुछ वक्त के लिए तो कीटो डाइट के नियम की पालना कर लेते हैं लेकिन जैसे ही कुछ समय बीतता है लापरवाही में पुराना रूटीन फाॅलो करने लग जाते हैं। जिससे हम अपने खानपान का ध्यान नहीं रख पाते और कीटो डाइट को फाॅलो नहीं कर पाने के कारण फिर से वजन बढने लगता है। कीटो डाइट से हम धीरे धीरे दूर हो जाते हैं और वो सब भोजन मे शामिल कर लेते हैं जिसे हमने डाइट कीटो डाइट के चक्कर में कम कर दिया था। इसका असर यह होता है कि फिर से वजन बढने लगता है।

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