बीमारियों का घर रिफाइंड ग्रेन: हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का बड़ा कारण परिष्कृत अनाज

प्राकृतिक रूप से प्राप्त अनाज का प्रयोग आपको ना केवल स्वस्थ जीवन देता है बल्कि उम्र भी बढ़ाता है। हेल्थ एक्सपर्ट आजकल इसलिए ही खाने में रिफाइंड ग्रेन्स (Refined grains) यानी परिष्कृत अनाज से दूरी बनाने और व्होल ग्रेन्स यानी साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करने की सलाह लोगों को दे रहे हैं। साफ है रिफाइंड ग्रेन्स के मुकाबले व्होल ग्रेन्स ज्यादा हेल्दी होते हैं।

इसलिए प्राकृतिक रूप से प्राप्त अनाज का सेवन फायदेमंद हैं क्योंकि इनमें फाइबर, जरूरी विटामिन, खनिज, फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। इससे उलट रिफाइंड ग्रेन या परिष्कृत अनाज जैसे मैदा या इससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन स्वास्थ संबंधी कई परेशानियों का कारण बनता है। रिफाइंड ग्रेन्स या इनसे तैयार चीजों का जैसे जैसे उपभोग बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ही इससे जुड़ी बीमारियों का प्रतिशत भी बढ़ता जा रहा है। यह कई स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा रहा है। अधिक मात्रा में रिफाइंड अनाज और इससे तैयार चीजों का सेवन दिल की सेहत बिगाड़ रहे हैं तो लोगों में स्ट्रोक और मृत्यु के जोखिम भी बढ़ रहे हैं। हृदय रोगों के अलावा टाइप 2 मधुमेह, मोटापा भी बढ़ रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ परिष्कृत अनाज की जगह साबुत अनाज लेने की सलाह देते हैं।

रिफाइंड ग्रेन हानिकारक क्यों? (Why are refined grains harmful?)

रिफाइंड ग्रेन हानिकारक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें अनाज को इतनी प्रोसेसिंग से गुजारा जाता है कि इसमें मौजूद पोषक तत्व और फाइबर खत्म हो जाता है। रिफाइंड गेहूं का आटा, सेवई या स्टिक्स, पॉलिश्ड चावल, मैदा, मैदा से बनी व्हाइट ब्रेड, नूडल्स, पास्ता, केक इसके कुछ उदाहरण हैं। मैदा से बने समोसे, कचौड़ी, फुल्की, रोस्ट टोस्ट, बिस्किट सब और गुलाब जामुन, बालूशाही, खुरमे आदि भी इसी से तैयार किए जाते हैं। बावजूद इसके लोग इनका इस्तेमाल कर घर बैठे बीमारियों को दावत दे रहे हैं। बड़ी बात यह है कि रिफाइंड ग्रेन बनाने के लिए अनाज के एंडोस्पर्म भाग को हटाया जाता है जिससे आहार में फाइबर ना के बराबर रह जाता है। विटामिन, खनिज की कमी और आवश्यक फैटी एसिड और फाइटोकेमिकल्स का नुकसान होता है वो अलग।

स्टडी में सामने आए चिंताजनक नतीजे

कनाडा के वैज्ञानिकों ने करीब 16 वर्षों तक एक स्टडी की। इस स्टडी के नतीजों को द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पब्लिश किया गया। कनाडा सहित 21 देशों में 1,37,130 प्रतिभागी इसमें शामिल हुए। शोधकर्ताओं ने पाया कि परिष्कृत अनाज और अतिरिक्त शर्करा एडेड शुगर का सेवन पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ गया है। अध्ययन में रोजाना मैदा और ब्रेड जैसे परिष्कृत अनाज की सात से अधिक सर्विंग्स लेना जल्दी मृत्यु के 27 प्रतिशत ज्यादा रिस्क से जुड़ा पाया गया। इससे हार्ट डिजीज का रिस्क 33 फीसदी ज्यादा और स्ट्रोक का रिस्क 47 प्रतिशत ज्यादा पाया गया।
इतना ही नहीं यूएसडीए (अमेरिकी कृषि विभाग, 2015-2020) के अमेरिकियों के लिए आहार दिशानिर्देश में कहा गया कि एक दिन के आहार में कुल अनुशंसित अनाज का कम से कम आधा हिस्सा साबुत अनाज का योगदान होना चाहिए।

सम्पूर्ण अनाज क्या है? (What is a whole grain?)

संपूर्ण अनाज में पौधे के संपूर्ण अनाज बीज को शामिल किया जाता है। जिसे गिरी भी कहा जाता है। यह गिरी बाहरी परत या चोकर, मध्य परत या भ्रूणपोष और भीतरी कोर जिसे रोगाणु कहा जाता है, से मिलकर बनी होती है। बाहरी परत या चोकर जहां फाइबर, विटामिन, खनिज और फाइटोकेमिकल्स प्रदान करता है और अनाज में एंटीऑक्सीडेंट क्षमता बढाता है। वहीं भ्रूणपोष अनाज का सबसे बड़ा हिस्सा है जो मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कुछ बी विटामिन प्रदान करता है। इसका तीसरा भाग रोगाणु, बीज का सबसे छोटा अंश और बढ़ने वाला भाग है। इसमें उच्च लिपिड और प्रोटीन सामग्री, खनिज, विटामिन ए और ई पाए जाते हैं।
साबुत अनाज और साबुत अनाज उत्पादों के कुछ उदाहरणों में साबुत गेहूं, साबुत गेहूं का आटा, दलिया, मक्का, साबुत जई का दलिया, ब्राउन चावल, साबुत जौ, बाजरा, साबुत ज्वार, रागी (Whole wheat, whole wheat flour, oatmeal, corn, whole oats, brown rice, whole barley, millet, whole jowar, ragi) शामिल है।

India Health TV

subscribe now