क्या आप खुद को बेचैन या भयभीत महसूस करते हैं? पहचानें इन लक्षणों को

चिंता एक स्वभाविक मनोस्थिति है। जो हमारे व्यक्ति के विकास में योगदान देती है। अगर चिंता नहीं होगी तो विद्यार्थी पढाई नहीं करेगा, कर्मचारी समय पर कार्य स्थल पर नहीं पहुंचेगा और प्रतियोगी परी​क्षाओं में भाग लेने वाले लोग समयबद्ध तैयारी नहीं कर पाएंगे। इतनी चिंता होना आवश्यक है कि हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें लेकिन यही चिंता अगर दुषचिंता में परिवर्तित हो जाती है और इतनी ज्यादा होने लगती है कि वो हमारे कार्य में बाध बन जाती हो तो इसे स्थिति को चिंता विक्षिप्त कहते हैं। जरूरत से ज्यादा बेचैनी आपकी कार्य क्षमता और शरीर दोनों के लिए नुकसानदेह है। बहुत अधिक बेचैन रहना लगातार चिंता का कारण है।

बेचैनी होना शारीरिक एवं मानसिक बीमारी दोनों प्रकार के संकेत हो सकते हैं। घबराहट आपकी बेचैनी और आंतरिक तनाव की स्थिति को बताता है। चुभने वाला दर्द या बीमार होने की भावना से लेकर मनोवैज्ञानिक संकट जब कोई व्यक्ति या कोई चीज आपको परेशान करती है। यह भी बेचैनी का कारण हो सकता है।

चिंता वैसे तो सामान्य मनोस्थिति है। लेकिन यही चिंता इतनी ज्यादा हो जाए कि हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन में बाधक हो जाए और यह स्थिति दो सप्ताह या इससे अधिक बनी रहे और चिंता का कारण भी व्यक्ति को मालूम ना हो कि यह बेचैनी क्यों हो रही है। इसे एंजायटी डिसऑर्डर की संज्ञा दी जाती है। वैसे तो यह एक नार्मल इमोशनल सिस्टम का हिस्सा है, इसलिए इसे डिसऑर्डर नहीं माना जाता है, फिर भी इसके कुछ स्तर या पैरामीटर हैं जिन पर इसे असामान्य माना जा सकता है।

लगातार चिंता-ग्रस्त रहने से कई जटिल शारीरिक समस्याएं शरीर को घेर लेती हैं, जैसे ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना। आपको संक्रमण का खतरा होने की संभावना भी बढ़ सकती है। यदि आप हमेशा चिंतित रहते हैं या यह आपके दैनिक कार्यकलापों में प्रभाव डालने लगती है तो आपको एंजायटी डिसॉर्डर हो सकता है। कई बार अचानक डर जाने की बीमारी, आघात लगने के बाद तनाव में बने रहना भी बेचैनी का कारण होता है।

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बेचैनी के लक्षण:

1.  किसी वस्तु या विषय पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना और चिड़चिड़ापन होना।
2. बहुत अधिक परेशान रहना या बहुत देर तक असहज होना। पर्याप्त नींद ना आना और थकान महसूस होना।
3.  जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतना और शंका ग्रस्त स्वभाव।
4.  कई बार बैचेनी के कारण आप असंतुलित रहते हैं और सही से आराम नहीं कर पाते।
5. आंखों में गीलापन या आंसू महसूस होना।
6. आपको बार-बार दूसरे लोगों से आश्वासन या सहयोग मांगने की जरूरत पड़ती है।
7.  दिल की धड़कनों का बढ़ जाना और अधिक पसीना निकलना।
8. तेजी से सांस लेना, कंपकंपी महसूस होना।
9.  मितली या ऊबकायी आना, सीने में दर्द, सिर दर्द, पसीना आना भी इसके लक्षण हैं।
10. भूख की कमी, पाचन तंत्र का गड़बड़ होना, बार-बार पेशाब जाने की आवश्यकता पड़ना।
11. धैर्य की कमी, बिना किसी उद्देश्य के अपनी जगह से थोड़ा सा हटकर घूमना,
घबराहट, बहुत ज्यादा उत्साह और जिद्दी व्यवहार भी इसके लक्षण हैं।

 

उपचार:

चिंता विक्षिप्त के उपचार के लिए कुछ मनोरोगों में प्रयुक्त होने वाली दवाएं भी उपलब्ध हैं। लेकिन उन दवाओं के प्रयोग से पहले कुछ व्यवहारिक तरीके काम में लिए जा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक घबराहट, बेचैनी या भयभीत होने जैसी परिस्थितियों से आप बिना दवाओं के भी निपट सकते हैं। गंभीर स्थिति में डॉक्टर मूड स्टेबलाइजर्स, एंटी-डेप्रेसेंट्स और एंटी-एंग्जायटी दवाओं के संयोजन को लिख सकते हैं। लेकिन आप इन बातों का ध्यान रखें जिससे आप इस समस्या पर नियंत्रण पा सकते हैं।

1. चिंता और क्रोध को छोड़ें, जरूरत से ज्यादा पास्ट और फ्यूचर के बारे में सोचने से बचें।

2. क्रोध और चिंता को शांत करने के लिए प्रेशर पॉइंट्स की पहचान करें। इसमें एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट की भी मदद ली जा सकती है।

3. ज्यादा से ज्यादा शरीर को आराम दें। घबराहट या किसी मानसिक परेशानी के तहत आपकी मांसपेशियों में अकड़न, स्ट्रेस और टेंशन महसूस हो सकती है। प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन जैसी तकनीकें आपको शांत होने और खुद को केंद्रित करने में मददगार हो सकती हैं।

4. नियमित व्यायाम करें। दौड़ लगाएं, पैदल चलें, मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करें। इसमें तनाव मुक्ति वाले योग और आसन भी मददगार हो सकते हैं।

5. अपने एनर्जी लेवल को पॉजिटिव बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।

6. मोबाइल और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल कम से कम करें। जरूरत होने पर हंसाने वाला या खुशी देने वाला कंटेंट आप देख सकते हैं।

7. अपनी पाचन शक्ति को मजबूत बनाएं, विटामिन और फाइबर युक्त फलों का सेवन करें।

यदि उपरोक्त बताए गए तरीकों से आपकी बेचैनी का समाधान नहीं निकलता है तो मनोचिकित्सक की सलाह लेना उपयुक्त रहेगा। ताकि यह क्रोनिक एंजायटी में परिवर्तित नहीं हो।
: डॉ. शिव गौतम, वरिष्ठ मनोचिकित्सक

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