कई गंभीर रोग ऐसे होते हैं जिनका असहनीय दर्द मरीजों को सहन करना बहुत मुश्किल होता है। ये पीड़ा ऐसी होती है कि बीमारी के बारे में किसी को बताने में भी हिचक होती है या शर्म आती है। वे अपनी बीमारी का जिक्र उस समय करते हैं, जब तकलीफ न केवल बर्दाश्त से बाहर हो जाती है, बल्कि उपचार ही अंतिम विकल्प बचता है। रेक्टल प्रोलैप्स ऐसी ही एक बीमारी है, जिसका दर्द मरीज तब तक झेलता करता है, जब तक वह खड़े होने या चलने-फिरने के मोहताज नहीं हो जाता। यह बीमारी सामान्यतौर पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक सामने आती है। इस बीमारी के चपेट में आने वाले ज्यादातर मरीजों की उम्र 50 वर्ष से अधिक होती है। यह बीमारी अधिकांशतः मरीजों को मानसिक रूप से बीमार बना देती है और मरीज एन्टी डिप्रेशन की दवाइयां लेने को मजबूर हो जाता है। इस बीमारी को छिपाने की मुख्य वजह सामान्य तौर पर शर्मिंदगी होती है।
रेक्टल प्रोलैप्स के लक्षण
रेक्टल प्रोलैप्स के मरीजों को शुरुआती दौर में कब्ज के बाद लगातार दस्त बने रहने की शिकायत होती है। साथ ही मल त्याग को नियंत्रण करने में असमर्थता और मलाशय से बलगम या खून आना भी इस रोग के संकेत हो सकते हैं। रेक्टल प्रोलैप्स के मरीजो को मल त्याग करने के बाद भी यह महसूस होता है कि अभी पूरी तरह से मलाशय खाली नहीं हुआ है। अन्य लक्षणों में मलत्याग के दौरान या बाद में गुदा का बाहर निकलना, खड़े होने या चलते समय गुदा या मलाशय में दर्द महसूस होना, मलाशय की अंदरूनी परत से खून या बलगम का रिसना, खांसने, छींकने या उठाने के बाद गुदा से उभार महसूस होना, मल त्याग के लिए दबाव डालना की जरूरत पड़ना, पेट में दर्द होना, बार-बार कब्ज होना, गुदा-मलाशय में दर्द होना और गुदा में खुजली होना आदि भी शामिल हैं।
किस कारण से होता है रेक्टल प्रोलैप्स?
रेक्टल प्रोलैप्स बुजुर्ग महिलाओं में अधिक आम है, लेकिन यह किसी उम्र या वर्ग और पुरुषों को भी हो सकती है। जहां तक सवाल है, यह बीमारी क्यों होती है तो इसके कुछ प्रमुख कारणों में गर्भावस्था, योनि प्रसव और पेल्विक की कमजोर मांसपेशियां शामिल हैं। इसके अलावा रेक्टल और एनल मसल्स को नियंत्रित करने वाली नसों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से भी यह बीमारी हो सकती है। लंबे समय तक कब्ज की बीमारी और लगातार दस्त बने रहने से भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है। कई मरीजों का श्वसन और पाचन तंत्र सिस्टिक फाइब्रोसिस नामक अनुवांशिक बीमारी की वजह से कमजोर हो जाता है, जिसकी वजह से बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। रीढ़ की हड्डी की समस्या, स्ट्रोक, हिस्टरेक्टॉमी, डिमेंशिया की वजह से भी महिलाओं में इस बीमारी का खतरा बना रहता है।
इस तरह से संभव है रोग का उपचार
रेक्टल प्रोलैप्स के उपचार में आमतौर पर सर्जरी शामिल होती है। अन्य उपचारों में कब्ज के लिए विभिन्न उपचार शामिल हैं, जिनमें मल सॉफ़्नर, सपोसिटरी और अन्य दवाएं शामिल हैं। इसके इलाज के लिए कुछ अलग सर्जिकल तरीके हैं। आपका डॉक्टर आपकी उम्र, शारीरिक स्थिति और वर्तमान स्थिति पर विचार करने के बाद सबसे अच्छा तरीका चुनेगा। सर्जरी आमतौर पर रेक्टल प्रोलैप्स को ठीक करने में मदद करने और मल असंयम और बाधित मल त्याग जैसे लक्षणों का इलाज करने के लिए आवश्यक है। कुछ प्रकार की सर्जरी में पेट में चीरा लगाना और मलाशय को वापस अपनी जगह पर खींच कर किया जाता है। इस सर्जरी को एब्डोमिनल रेक्टोपेक्सी के रूप में भी जाना जाता है। इसको एक विशेष कैमरे और उपकरणों के साथ छोटे चीरों का उपयोग करके लैप्रोस्कोपिक रूप से भी किया जा सकता है।