आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी

कॉर्निया आंखों का वह पारदर्शी भाग है, जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है और उसका प्रत्यावर्तन होता है। यह आंख का लगभग दो-तिहाई भाग होता है, जिसमें बाहरी आंख का रंगीन भाग, पुतली और लेंस का प्रकाश देने वाले हिस्से होते हैं। कॉर्निया में कोई रक्त वाहिका नहीं होती बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का जाल होता है। कॉर्निया आंख की मजबूत, पारदर्शी और सबसे बाहरी परत है। यह न केवल आंख को सिर्फ धूल-मिट्टी व रोगाणुओं से बचाता है बल्कि इसके साथ ही यह दृष्टि में भी काफी मदद करता है।

जब किसी वस्तु से रोशनी की किरणें आंखों में जाती हैं तो कॉर्निया इन किरणों को मोड़कर आंख के प्राकृतिक लेंस पर भेज देता है। लेंस इन किरणों को रेटिना में भेजता है, जहां इनको आवेगों (इम्पल्स) में बदलकर ऑप्टिक नर्व के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचाया जाता है।

कई बार उम्र के साथ या कई अन्य कारणों से कम उम्र में भी कॉर्निया अपनी सामान्य आकृति खो देता है। इससे यह पतला व ढलाननुमा बन जाता है और यह दृष्टि खराब होने का कारण बनता है। हालांकि शुरुआत में कॉन्टेक्ट लेंस व नंबर वाले चश्मों की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है, पर स्थिति ज्यादा खराब होने पर इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी की जरूरत होती है।

 

जानें क्या है यह विशेष सर्जरी

इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन यानी आईसीआरएस (ICRS) आधुनिक चिकित्सा तकनीक है। इसमें आंख के कॉर्निया में एक छल्ले या रिंग की आकृति की विशेष डिवाइस लगाई जाती है। इसके मार्फत कॉर्निया की आकृति में कुछ बदलाव करके दृष्टि में सुधार किया जा सकता है। यह एक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है। यह प्रक्रिया कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन के विकल्प के रूप में अपनाई जाती है। इसके जरिए प्लास्टिक के दो अर्धचंद्राकार छल्ले कॉर्निया में लगा दिए जाते हैं, जिससे कॉर्निया फिर अपनी सामान्य आकृति में आ जाता है।

 

कब की जाती है सर्जरी

केराटोकोनस के साथ एस्टिगमेटिज्म या मायोपिया होने की स्थिति में यह सर्जरी की जाती है। केराटोकोनस के लक्षणों में धुंधलापन, दृष्टि का ठीक न होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, रोशनी से चमक लगना, बार-बार चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस के नंबर बदलवाने की आवश्यकता पड़ना आदि शामिल है। मायोपिया के लक्षणों में सिरदर्द, आंखों पर जोर पड़ना, दूर की चीजें देखने में परेशानी, चीजों को स्पष्ट देखने के लिए आंखों को सिकोड़ना प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा लेसिक सर्जरी के बाद कॉर्निया कमजोर पड़ जाने की स्थिति में भी यह सर्जरी की जाती है।

 

सर्जरी के बाद रखें खास ध्यान

सर्जरी के बाद चिकित्सक की सलाह की अनदेखी नुकसानदायक हो सकती है। चिकित्सक की ओर से बताई दवाओं को नियमानुसार लें। जैसे पेन-किलर, एंटीबायोटिक आदि। इनकी मदद से सर्जरी के बाद दर्द व संक्रमण नहीं होता। सर्जरी के बाद कुछ दिन धूप वाले चश्मे और रात के समय आईशिल्ड पहनें। सर्जरी के बाद कुछ दिन टीवी या मोबाइल स्क्रीन देखने से बचें। सर्जरी के बाद चार से छह हफ्तों तक स्विमिंग, खेलकूद, जॉगिंग ना करें. नहाते या मुंह धोते वक्त भी कम से कम तीन हफ्तों तक पानी से आंखों का बचाव करें। आंखों पर कम से कम चार से पांच हफ्ते तक कोई मेकअप न करें। काजल का भी इस्तेमाल न करें। धूम्रपान या शराब के सेवन से भी बचें।

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