जानें क्या है पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रकार, लक्षण, कारण और उपचार

नपुंसकता एक ऐसा शब्द या बीमारी है जिसको लेकर पुरुष अकसर किसी से खुलकर बात करने में शर्माते हैं या असहज महसूस करते हैं। जबकि इस समस्या का उपचार बिना उचित जानकारी और परामर्श के संभव नहीं है। पुरुष के प्राइवेट पार्ट में पर्याप्त तनाव नहीं आता हो या पर्याप्त तनाव आने के बाद भी सही तरीके से सहवास न कर पाता हो तो इसे नपुंसकता कहा जा सकता है। आजकल नपुंसकता या इम्पोटेंसी को इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी सही तनाव का अभाव कहा जाता है। फलस्वरूप ऐसी स्थिति में महिला पार्टनर को संतुष्ट करने में और संतानोत्पत्ति में अक्षम होते हैं।

कामेच्छा, इंद्री में पर्याप्त तनाव, स्त्री जननांग में प्रवेश और चरम सीमा यह पुरुष के सेक्स चक्र में चार चरण होते हैं। पर कई बार कामेच्छा की कमी तो कई बार नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी से उत्तेजना में कमी आ सकती है। एक पुरुष को सुबह के वक्त, पेशाब करते समय या मास्टरबेशन के वक्त, एक अवस्था में पर्याप्त उत्तेजना आती है पर उसे दूसरी अवस्था में उत्तेजना नहीं आती तो यह समस्या मानसिक मानी जाएगी, शारीरिक नहीं। नपुंसकता के उपचार में चिकित्सा विशेषज्ञ दवाओं, लिंग में इन्जेक्शन और परामर्श आदि का सहारा लिया जाता है।

नपुंसकता के प्रकार:
नपुंसकता के प्रकारों के बारे में जानें उससे पहले यह समझ लेना आवश्यक है कि स्तंभन से अभिप्राय लिंग के आकार में बढ़ने और कड़ा होने से है, जो यौनिच्छा करने पर लिंग के उत्तेजित होने के कारण होता है, यद्यपि यह गैर यौन स्थितियों में भी हो सकता है।

प्राथमिक नपुंसकता–

जो पुरुष कभी भी स्तंभन या तो प्राप्त नहीं कर पाते हैं या फिर उसे बनाए नहीं रख पाते, वो इस श्रेणी में आते हैं। हालांकि प्राथमिक नपुंसकता काफी दुर्लभ स्थिति होती है। यह लगभग हमेशा मानसिक कारकों या नैदानिक ​​रूप से कुछ स्पष्ट शारीरिक विकारों के कारण होता है।

द्वितीय नपुंसकता –

जब पुरुष स्तंभन प्राप्त करने में शुरू में सक्षम होता है, लेकिन बाद में अक्षम हो जाता है। उस स्थिति को द्वितीय नपुंसकता के नाम से जाना जाता है। द्वितीय नपुंसकता अधिक सामान्य स्थिति है और इसके 90 प्रतिशत मामलों में कार्बनिक एटीयोलॉजी होती है। द्वितीय नपुंसकता से ग्रस्त होने वाले ज्यादातर लोग रिएक्टिव साइकोलॉजी विकसित कर लेते हैं जो मिलकर इस समस्या को बढा देते हैं।

लक्षण:

1. लिंग में उत्तेजना लाने में परेशानी हो रही हो।
2. यौन गतिविधियों के दौरान उत्तेजना को बनाए रखने में कठिनाई होती हो।
3. सेक्स करने की इच्छा में कमी।
4. नपुंसकता से संबंधित अन्य यौन विकारों की बात करें तो समय से पहले स्खलन, स्खलन में देरी, पर्याप्त उत्तेजना होने के बाद भी संभोग सुख प्राप्त करने में असमर्थता।
5. कुछ अन्य भावनात्मक लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे शर्म, लज्जा या चिंता महसूस होना, शारीरिक संभोग में कम रूचि।

 

कारण:

1. विटामिन सी, सेलेनियम और जिंक या फोलेट की कमी, अच्छे पोषण का अभाव।
2. मनोवैज्ञानिक कारण, जिसमें परफोर्मेंस की समस्याएं या सेक्स के बारे में जरूरत से ज्यादा चिंता करना शामिल है।
3. साथी के साथ रिश्ते की समस्या के कारण कई बार बहुत ज्यादा तनावभरा रिश्ता लम्बे समय तक रहने से भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है।
4. रक्त वाहिका संबंधी विकार। जैसे कि हृदय स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इसका कारण हो सकती हैं। या चोट लगने के कारण भी नपुंसकता आ सकती है।
5. न्यूरोलॉजिकल क्षति, ज्यादातर मधुमेह के कारण यह स्थिति बनती है।
6. धूम्रपान-प्रेरित एथेरोस्क्लेरोसिस यानी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन कम होना। जरूरत से ज्यादा एल्कोहल का सेवन।
7. जरूरत से ज्यादा पोर्नोग्राफी देखना, हस्तमैथुन की लत।
8. हालांकि इसके ठोस प्रमाण नहीं हैं लेकिन लम्बे समय तक गोद में लैपटॉप लेकर लगातार कार्य करना भी नपुंसकता का कारण है।
9. अन्य कारणों की बात करें तो अत्यधिक दवाओं और नशीले पदार्थ का सेवन, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लैडर का कैंसर, प्रोस्टेट की स्थिति के कारण भी ऐसी स्थिति बन सकती है।

उपचार

चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करना शुरु करें। स्वस्थ आहार नहीं खाते तो अंत में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसे रोग हो जाते हैं जो नपुंसकता बढाने वाले कारक हैं। धूम्रपान सामान्य रूप से खून के प्रवाह पर नाकारात्मक असर डालता है, तुरंत धूम्रपान बंद कर दें। शराब का सेवन ना करें। अपने वजन को नियंत्रित रखें, नियमित व्यायाम करें। अपने तनाव और चिंता के स्तर को कम करें। उचित मात्रा में पानी पीएं। स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सक द्वारा बताए गए उपचार के मुताबिक दवाओं का सेवन करें।

: डॉ. चिराग भण्डारी, फाउण्डर,
इंस्टिट्यूट ऑफ एंड्रोलॉजी एंड सेक्सुअल हेल्थ

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