कैंसर एक गंभीर और जटिल बीमारी है, लेकिन चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र में हुई क्रांति ने इसके इलाज को पहले की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित, सटीक और असरदार बना दिया है। खासकर कैंसर सर्जरी के क्षेत्र में उन्नत तकनीकों ने नई उम्मीदें पैदा की है। तकनीक के साथ जुड़ाव, कैंसर से जंग को और मजबूत बना रहा है। आज कैंसर का इलाज सिर्फ शरीर के किसी हिस्से को हटाने तक सीमित नहीं, बल्कि उससे भी आगे बढ़ चुका है, जहां इलाज कम दर्दनाक, तेज और ज्यादा सटीक हो गया है। आज की तकनीक न सिर्फ कैंसर सर्जरी को आसान बना रही है, बल्कि इलाज की सफलता और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार कर रही है। यह बदलाव न केवल डॉक्टरों के लिए सुविधा लेकर आया है, बल्कि लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण भी साबित हो रहा है।
1. रोबोटिक सर्जरी: सटीकता और कम जटिलता
रोबोटिक सर्जरी ने कैंसर ट्रीटमेंट की तस्वीर बदल दी है। इसमें सर्जन एक रोबोटिक सिस्टम की मदद से बेहद छोटे चीरे से ट्यूमर को हटाता है। इससे
सर्जरी में कम खून बहता है, पोस्ट-ऑपरेटिव दर्द कम होता है, रोगी जल्दी रिकवर होता है और आसपास के स्वस्थ ऊतक सुरक्षित रहते हैं। प्रोस्टेट, गर्भाशय, फेफड़े और किडनी कैंसर की सर्जरी में यह तकनीक काफी सफल साबित हो रही है।
2. न्यूरो नेविगेशन सिस्टम और इमेज गाइडेड सर्जरी
ब्रेन और स्पाइनल ट्यूमर की सर्जरी में इमेजिंग तकनीक (जैसे MRI, CT और PET स्कैन) का लाइव उपयोग करके ट्यूमर की सटीक लोकेशन पहचानी जाती है। इससे सर्जन बिना गलती के ट्यूमर को हटाने में सक्षम होता है और मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
3. लैप्रोस्कोपिक (Keyhole) सर्जरी: कम चीरे, कम दर्द
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में शरीर में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं और एक कैमरा अंदर भेजा जाता है, जिससे अंदर की संरचना स्पष्ट दिखाई देती है। यह तकनीक कोलन, पेट और लिवर कैंसर जैसी स्थितियों में उपयोगी है। रोगी जल्दी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है।
4. AI और डेटा एनालिटिक्स: निर्णयों में सटीकता
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग अब कैंसर के इलाज की योजना बनाने में मदद कर रहे हैं। ये तकनीकें ट्यूमर की ग्रोथ का अनुमान लगाती हैं, मेटास्टेसिस का रिस्क बताती हैं और डॉक्टरों को सटीक उपचार रणनीति तय करने में मदद करती हैं।
5. 3D प्रिंटिंग और वर्चुअल सर्जरी प्लानिंग
3D प्रिंटिंग से सर्जन ट्यूमर या प्रभावित अंग का मॉडल पहले ही बना लेते हैं। इससे सर्जरी पहले ही “रिहर्स” की जा सकती है, जिससे जटिलताओं की आशंका घट जाती है और सफलता दर बढ़ जाती है।
: डॉ. नितिन खुंटेटा, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट,
महात्मा गांधी अस्पताल