आज के डिजिटल युग में हर क्षेत्र में तकनीक का प्रभाव देखा जा सकता है, फिर चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या फिर योग। पारंपरिक रूप से गुरुकुल या आश्रमों में सिखाया जाने वाला योग अब मोबाइल स्क्रीन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच चुका है। यही है डिजिटल योग — एक ऐसा माध्यम जिसने योग को सीमाओं से परे पहुंचा दिया है।
डिजिटल योग क्या है?
डिजिटल योग का तात्पर्य है योग अभ्यास को डिजिटल माध्यमों के जरिए अपनाना। इसमें ऑनलाइन योग क्लासेस, मोबाइल ऐप्स, वीडियो ट्यूटोरियल्स, लाइव जूम सेशन्स, सोशल मीडिया योग चैलेंज और AI-सहायता प्राप्त पोज करेक्शन टूल्स शामिल हैं।
ऑनलाइन योग की लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है?
1. सुलभता और सुविधा
अब योग सीखने के लिए किसी विशेष स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं। इंटरनेट कनेक्शन और एक डिवाइस के साथ कोई भी व्यक्ति घर बैठे योग का अभ्यास कर सकता है — वो भी अपने समय अनुसार।
2. महामारी के बाद की आदतें
कोविड-19 महामारी के दौरान जब जिम और स्टूडियो बंद हो गए थे, तब ऑनलाइन योग ने लोगों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने का साधन प्रदान किया। इसी से डिजिटल योग को नया जीवन मिला, जो अब भी जारी है।
3. व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार विकल्प
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रचुर मात्रा में कंटेंट मौजूद है — वजन घटाने से लेकर प्रेग्नेंसी योग तक। लोग अपनी जरूरत के अनुसार समय और स्तर चुन सकते हैं।
4. विश्वस्तरीय शिक्षक, लोकल स्क्रीन पर
आज कोई भारत में बैठकर अमेरिका के योग गुरु से या जापान की Zen योग पद्धति से सीख सकता है। या भारत के ही बड़े योग विशेषज्ञ जो व्यस्तताओं के चलते आसान उपलब्ध नहीं हैं उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर सकता है। सीमाएं टूट रही हैं और अनुभव वैश्विक हो गया है।
5. तकनीकी सहायता और ट्रैकिंग
कई ऐप्स और स्मार्ट वियरेबल डिवाइसेज से नाड़ी, श्वास और स्ट्रेस लेवल मापा जा सकता है, जो योग अभ्यास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से और प्रभावी बनाते हैं।
डिजिटल योग के सकारात्मक प्रभाव
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: तनाव और चिंता को कम करने के लिए लोग माइंडफुलनेस और ध्यान सत्रों का लाभ उठा रहे हैं।
समावेशिता: वृद्धजन, दिव्यांगजन और कामकाजी लोग भी अपने हिसाब से क्लासेस अटेंड कर सकते हैं। यानी जब समय मिलता है वो योग क्लास से जुड़ सकते हैं या योगाभ्यास कर सकते हैं।
योग का वैश्वीकरण: भारत की यह प्राचीन परंपरा अब विश्व मंच पर और मजबूती से अपनी छाप छोड़ रही है।
सावधानियां भी जरूरी
योग पोज सही करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक की गाइडेंस की कमी से चोट की संभावना हो सकती है। अधिक स्क्रीन टाइम मानसिक थकान भी बढ़ा सकता है, जिससे योग का असली उद्देश्य खो सकता है।
: सीमा गुप्ता, योगा इंस्ट्रक्टर