भविष्य के स्थायी हृदय रोगों के समाधान की नई क्रांति आर्टिफिशियल हार्ट

हाल ही में चिकित्सकों ने इतिहास रचते हुए एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति को 105 दिनों तक कृत्रिम हृदय (BiVACOR Total Artificial Heart) के साथ जीवत रखने में सफलता प्राप्त की। यह उपलब्धि अब तक की सबसे लंबी अवधि है जिसमें कोई व्यक्ति इस कृत्रिम हृदय के साथ जीवित रहा है। इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले ही मध्य चीन के वुहान में, डॉक्टरों ने एक 7 वर्षीय लड़के में 45 ग्राम वजन का, बोतल के ढक्कन के आकार का चुंबकीय रूप से उत्थित कृत्रिम हृदय सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया, जिससे बाल हृदय विफलता के इलाज के लिए एक नया विकल्प सामने आया।

आर्टिफिशियल हार्ट (कृत्रिम हृदय) दुनिया में एक जीवनदायनी चमत्मकारी क्रांति है। उन रोगियों के लिए एक अस्थायी समाधान के रूप में डिजाइन किया गया है जो हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में इसे स्थायी विकल्प के रूप में उपयोग करने की योजना है। आर्टिफिशियल हार्ट एक यांत्रिक उपकरण है जिसे मानव हृदय की कार्यक्षमता के मद्देनजर डिजाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य हृदय की पंपिंग क्रिया को जारी रखना है खासकर तक जब प्राकृतिक हृदय असफल हो जाता है और प्रत्यारोपण (transplant) एकमात्र विकल्प होता है। टोटल आर्टिफिशियल हार्ट एक तरह की कृत्रिम उपकरण है, जो क्षतिग्रस्त हृदय कक्ष (वेंट्रिकल्स) और हार्ट वाल्व को पूरी तरह से बदल देता है।

आर्टिफिशियल हार्ट का उपयोग वर्तमान में गंभीर हृदय रोग से ग्रसित मरीजों में किया जा रहा है, विशेष रूप से उन रोगियों में जिन्हें हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा है। इसे आमतौर पर अस्थायी समाधान (bridge to transplant) के रूप में प्रयोग किया जाता है। हालांकि कुछ मामलों में यह स्थायी समाधान (total artificial heart) के रूप में भी उपयोग में लाया गया है।

पिछले कई दशकों में आर्टिफिशियल हार्ट पर व्यापक शोध हुआ है। सबसे पहले 1982 में डॉ. रोबर्ट जार्विक द्वारा विकसित “जार्विक-7” नामक कृत्रिम हृदय को एक रोगी में प्रत्यारोपित किया गया था। तब से अब तक तकनीक में काफी सुधार हुआ है। आज के आधुनिक आर्टिफिशियल हार्ट अधिक टिकाऊ, हल्के और शरीर के साथ अधिक अनुकूल होते हैं।

1. आर्टिफिशियल हार्ट कैसे काम करता है?
कृत्रिम हृदय एक यांत्रिक उपकरण होता है, जिसे या तो पूर्ण हृदय के स्थान पर (Total Artificial Heart – TAH) या बाएं वेंट्रिकल की सहायता के लिए (Left Ventricular Assist Device – LVAD) लगाया जाता है। इसके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:

रक्त प्रवाह बनाए रखना: यह शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त को पंप करता है।

सेंसर और मोटर: इसमें इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और मोटर होते हैं जो हृदय की धड़कन जैसी क्रिया करते हैं।

पावर सप्लाई: बाहरी बैटरी और कंट्रोल यूनिट से इसे विद्युत शक्ति मिलती है, जो आमतौर पर रोगी के शरीर के बाहर एक बेल्ट या बैग में रहती है।

सामग्री: यह बायो-कम्पैटिबल (bio-compatible) मटेरियल से बना होता है, जिससे इसे शरीर में आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सके।

2. लागत क्या है?
कुल अनुमानित लागत (Total Artificial Heart):
₹70 लाख से ₹1.2 करोड़ तक (USD 85,000 – 150,000)।

LVAD की लागत:
₹40 लाख से ₹80 लाख तक (USD 50,000 – 100,000)।

यह लागत देश, अस्पताल और उपयोग की गई तकनीक के अनुसार भिन्न होती है। भारत में यह थोड़ा कम हो सकती है, लेकिन फिर भी अत्यधिक महंगी मानी जाती है।

प्रमुख कंपनियां:
SynCardia Systems (U.S.) – इसका TAH (Total Artificial Heart) मॉडल FDA द्वारा अनुमोदित है और कई रोगियों में सफलतापूर्वक लगाया जा चुका है।

Carmat (फ्रांस) – यह कंपनी जैव-संगत (bio-compatible) कृत्रिम हृदय बना रही है, जो प्राकृतिक ऊतकों और सेंसर से सुसज्जित है। 2020 में इसका पहला प्रत्यारोपण यूरोप में हुआ।

Abiomed – यह कंपनी भी हृदय सहायता प्रणाली (heart assist devices) पर कार्यरत है, जैसे कि Impella device।

BiVACOR– एक क्लिनिकल-स्टेज मेडिकल डिवाइस कंपनी है जो बाइवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के रोगियों के लिए दीर्घकालिक चिकित्सा के विकास में अग्रणी है।

3. अब तक कितने लोगों को आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया है?
Total Artificial Heart (TAH):
अब तक दुनियाभर में 2,000+ लोगों को TAH लगाया जा चुका है, विशेष रूप से SynCardia और Carmat जैसी कंपनियों द्वारा।

LVAD (Left Ventricular Assist Device):
50,000+ मरीजों को LVAD लगाए जा चुके हैं, जो कि आंशिक कृत्रिम हृदय के रूप में कार्य करता है।

आर्टिफिशियल हार्ट उन मरीजों के लिए जीवनदान के समान है जिन्हें दिल प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यकता होती है, लेकिन कोई अंगदाता उपलब्ध नहीं होता। हालांकि इसकी लागत अधिक है और इसे व्यापक रूप से आम जनता के लिए सुलभ बनाना अभी बाकी है, लेकिन तकनीकी प्रगति इसे जल्द ही और अधिक किफायती और व्यापक रूप से उपलब्ध बना सकती है।

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