ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक श्वसन संक्रमण फैलाने वाला वायरस है, जो बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था, लेकिन यह वायरस लंबे समय से मनुष्यों में मौजूद है। भारत सरकार ने ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के संबंध में जनता को आश्वस्त किया है कि यह कोई नया वायरस नहीं है और 2001 से विश्व स्तर पर मौजूद है। HMPV से घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों में सामान्यतः श्वसन संक्रमण का कारण बनता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने HMPV पर चिंता जताई है जो एक रेस्पिरेट्री (श्वसन) वायरस है जो कई एशियाई देशों को प्रभावित कर रहा है। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) वायरस चीन के कारण चीन में काफी चिताएं बढ़ गई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हाल ही में पाए गए मामलों में राइनोवायरस और मानव मेटान्यूमोवायरस जैसे रोगाणु (pathogens) शामिल हैं। विशेष रूप से चीन के उत्तरी प्रांतों में 14 वर्ष से कम आयु के लोगों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।’
HMPV पैरामाइक्सोवायरस परिवार से संबंधित है। यह मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, या उनके संपर्क में आने से फैलता है। दूषित सतहों को छूने और फिर चेहरे, मुंह या नाक को छूने से भी संक्रमण हो सकता है।
HMPV के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं और सामान्यतः फ्लू या अन्य श्वसन संक्रमणों से मिलते-जुलते हैं। HMPV वायरस बच्चों और कमजोर व्यक्तियों के लिए विशेष चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि, उचित स्वच्छता और सावधानियों के साथ इसके प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
घबराएं नहीं, सावधानी बरतें
केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बैठक कर श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की है। जनता के बीच स्वच्छता और निवारक उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है, जैसे बार-बार हाथ धोना, गंदे हाथों से चेहरे को न छूना और खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकना। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया है कि देश में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में किसी असामान्य वृद्धि का संकेत नहीं मिला है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। मंत्रालय ने जनता से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और आवश्यक सावधानियों का पालन करें।
HMPV के लक्षण
नाक बहना या बंद होना, खांसी, बुखार, गले में खराश, थकान या कमजोरी इसके सामान्य लक्षण हैं वहीं गंभीर लक्षण जो अक्सर बच्चों और बुजुर्गों में देखने को मिल रहे हैं उनमें तेज सांस लेना या सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट, निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस शामिल हैं।
HMPV से बचाव
HMPV का कोई विशेष टीका या एंटीवायरल उपचार नहीं है, लेकिन कुछ साधारण उपाय इसके संक्रमण से बचने में सहायक हो सकते हैं।
स्वच्छता बनाए रखें, नियमित रूप से हाथ धोएं। आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें। संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें।
खांसने या छींकने वाले लोगों से संपर्क कम करें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। इसके अलावा संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनाएं।
माइसोफोबिया से बचें
कई बार हम अत्यधिक चिंता के कारण मोइसोफोबिया के भी शिकार हो जाते हैं। माइसोफोबिया कीटाणुओं का अत्यधिक डर है। यह संदूषण के प्रति अत्यधिक जुनून पैदा करता है। संदूषण का मतलब है, किसी चीज में अवांछित पदार्थों या घटकों का होना। इस स्थिति को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिनमें बैसिलोफोबिया, जीवाणुभय, जर्मोफोबिया, कृमि भय शामिल है।
HMPV को लेकर बहुत ज्यादा घबराने या अनहोनी की आशंका से डर के कारण जरूरत से ज्यादा सतर्कता बरतना आपको माइसोफोबिया का शिकार बना सकता है। यहां यह समझना जरूरी है कि खतरनाक या असुविधाजनक लगने वाली स्थितियों से डरना स्वाभाविक है। आप उन चीजों के बारे में भी चिंतित हो सकते हैं जो आपकी सेहत को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि ऐसे खाद्य पदार्थ जो आपको बीमार कर सकते हैं। लेकिन ये परिस्थितियां शायद ही कभी दैनिक गतिविधियों को बाधित करती हैं। ऐसे में सावधान रहें वरना HMPV से जरूरत से ज्यादा डरने से आपको माइसोफोबिया फोबिया हो सकता है।