गर्भधारण में ओव्यूलेशन की क्या भूमिका है? क्या है पूरी प्रक्रिया? जानें 7 फैक्ट्स

यह तो हम सभी जानते हैं कि पुरुष और महिला जब संभोग करते हैं तो यहीं से गर्भधारण की प्रक्रिया की शुरूआत हो जाती है. लेकिन ऐसा नहीं कि संभोग करने के तुरंत बाद ही कंसीव हो जाता हो. इसकी एक पूरी प्रक्रिया है जो सफल होने के बाद ही कंसीव होता और गंर्भ में बच्चे के बीज पड़ जाते हैं. सबके मन में यह सवाल उठता है कि आखिर महिला के गंर्भ में बच्चा कंसीव कैसे होता है इसकी प्रक्रिया कैसे चलती है.

गर्भधारण तब होता है जब डिंब (अंडा यानी एग) और शुक्राणु (स्पर्म) का आपस में मिलान होता है. संभोग के बाद शुक्राणुओं को आपकी डिंबवाही नलिकाओं (फैलोपियन ट्यूब्स) तक पहुंचने में पौन घंटे से लेकर 12 घंटों तक का समय लगता है. आमतौर पर गर्भाधान डिंबवाही नलिकाओं में ही होता है. पर बड़ी बात यह है कि अच्छी गुणवत्ता के शुक्राणु आपके शरीर के अंदर 6 से 7 दिनों तक जीवित रह सकते हैं. ऐसे में महिला डिंबोत्सर्जन (ओव्यूलेट) कर रही होती है तो संभोग के 1 हफ्ते तक किसी भी वक्त कंसीव हो सकता है.

आइए इसको हम 7 विभिन्न स्टैज से समझने का प्रयास करते हैं.

7 फैक्ट्स:


1: महिला के शरीर के अंदर डिंब (अंडा) कैसे बनता है यह समझने वाली बात है. फीमेल में गर्भधारण की प्रक्रिया का आगाज अंडाशयों से होता है. ये दो छोटे अंडाकार अंग होते हैं, जो गर्भाशय के दोनों तरफ चिपके होते हैं. अंडाशय डिंब (अंडों) से भरे होते हैं.


2: यदि हम बात करें तो एक नन्ही बच्ची अपने अंडाशयों में 10 से 20 लाख अंडों के साथ जन्म लेती है. इनमें बहुत से डिंब तो तुरंत ही खत्म होना शुरु हो जाते हैं, जो बचते हैं वो उम्र बढ़ने के साथ-साथ कम होते जाते हैं. पीरियड्स की शुरूआत सामान्यत 10 से 14 साल की उम्र के बीच होती है. इस वक्त तक किशोरी के अंडोशयों में करीब छह लाख अंडे जीवित हो हैं. विषय विशेषज्ञों की गणना यह कहती है कि 30 साल की उम्र तक घटते घटते यह संख्या केवल 72 से 73 हजार ही रह जाती है. महिला की पहली माहवारी से रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) तक करीब 400-500 अंडे जारी करती है.


3: हर बार पीरियड्स के दौरान महवारी के कुछ समय बाद, 3 से 30 अंडे किसी एक अंडाशय में परिपक्व होना शुरु होते हैं. इसके बाद सर्वाधिक परिपक्व डिंब जारी कर दिया जाता है, इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन (डिंबोत्सर्जन) कहा जाता है. यह डिंब निकटतम डिंबवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब) के ट्यूलिप आकार के मुख द्वारा खींच लिया जाता है. महिला के शरीर में दो डिंबवाही नलिकाएं होती हैं, जिनकी लंबाई 10 सें.मी. के आसपास होती है.


4: एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर ओव्यूलेशन महिलाओं के अगले पीरियड्स आने से 12 से 14 दिन पहले होना शुरू होता है. हालांकि ओव्यूलेशन का एकदम सटीक समय महिलाओं के मासिक चक्र की अवधि पर निर्भर करता है.


5: गौर करने वाली बात यह है कि बहुत से अलग-अलग हॉर्मोन्स एक साथ मिलकर आपके मासिक चक्र की अवधि, अंडे की परिपक्वता और ओव्यूलेशन के समय को नियंत्रित या संचालित करते हैं.


6: औसतन एक अंडा करीब करीब 24 घंटों तक जीवित रहता है. गर्भाधान के लिए डिंब को इसी समयावधि में शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाने की आवश्यकता होती है. अगर डिंब गर्भाशय में जाते हुए रास्ते में स्वस्थ शुक्राणु से मिल जाता है, तो नई कंसीव होने के पूरे पूरे चांस रहते हैं. और यदि ऐसा नहीं पाता तो अंडा गर्भाशय तक जाकर अपनी यात्रा समाप्त कर विघटित हो जाता है.


7: इसके बाद यदि कंसीव या गर्भधारण नहीं हुआ तो फिर अंडाशय गर्भावस्था को बरकरार रखने में मदद करने वाले ईस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन बनाना बंद कर देता है. जिसके बाद गर्भाशय की मोटी परत माहवारी के दौरान निकलती है और अनिषेचित अंडे के अवशेष भी उसी के साथ बाहर आ जाते हैं.

: डाॅ. लीना सैनी, महिला रोग विशेषज्ञ

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