पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए ज्यादा घातक हैं यह 7 बीमारियां, रखें खास ध्यान

वैसे तो बीमारी चाहे पुरुष को हो या महिला को, दोनों के लिए ही नुकसानदेह है. पर कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती हैं. जिसका असर महिलाओं के शरीर पर ज्यादा नकारात्मक हो सकता है या यों कहें की महिलाओं को विशेष रूप इन बीमारियों को लेकर सावधान रहना चाहिए. आज हम ऐसी ही 7 बीमारियों के बारे में बात करेंगे जिनको लेकर महिलाओं में ज्यादा खतरा देखने को मिलता है.

1. गठिया

गठिया रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है.जिससे उनकी दिनचर्या सामान्य से असामान्य होने लगती है. जोड़ों में दर्द, सूजन, बुखार, थकान महिलाओं के शरीर को जकड़ लेते हैं. इसकी शुरुआत अंगुलियों में दर्द के साथ होती है और कई बार अंगुलियां मुड़ती तक नहीं हैं. कलाइयों में भी सूजन देखने को मिलती है. खासकर सर्दियों और बरसात के मौसम में. ऐसे में इस पर विशेष सचेत रहने की जरूरत है.

2. हृदय रोग

वैसे तो दिल के रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही को समान रूप से प्रभावित करते हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने से मौत की आशंका अधिक रहती है. ऐसे में दिल के रोगों को लेकर महिलाओं को खासतौर पर सतर्कता बरतने की जरूरत है.

3. शराब और मादक पदार्थ

मादक पदार्थों की लत हो या शराब की आदत, दोनों ही चीजें पुरुषों और महिलाओं के लिए फायदेमंद नहीं हैं. पर यह भी ऐसी लत या बीमारी है जो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के शरीर को नुकसान पहुंचाती है. जिससे दिल की बीमारियां, स्तन कैंसर, भ्रूण के अल्कोहल सिंड्रोम की शिकायत के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक साबित हो सकता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इनके सेवन से तनाव, अवसाद, ओवर थिंकिंग जैसी समस्याएं अधिक जकड़ती हैं.

4. यौन संचारित रोग

यौन संचारित रोग (एसटीडी) रोग वैसे तो महिलाओं और पुरुषों दोनों में पाए जाते हैं लेकिन कई बार लापरवाही हो जाए तो पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं के लिए ज्यादा नुकसानदेह होती है. समय पर ध्यान ना दिया जाए या इसके उपचार में देरी की जाए तो महिलाओं के लिए बांझपन जैसी समस्या खड़ी हो सकती है. चूंकि इसके कोई स्पष्ट लक्ष्ण तो होते नहीं, ऐसे में उपचार में देरी से महिलाओं में इसका नकारात्मक असर पड़ता है. महिलाओं में पुरुषों की तुलना में सामान्यतया तनाव अधिक बढ रहा है जो भी बांझपन का खतरा बढा रहा है.

5. यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

यह महिलाओं में आम समस्या है. जो कई बार प्रेगनेंसी में भी बाधा उत्पन्न करती है. इसका प्रमुख कारण पेशाब का तरीका माना जाता है. जिससे महिलाओं को यूटीआई यानी मूत्रमार्ग में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है. अगर यूटीआई का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये ब्लैडर से एक या दोनों किडनी में फैलने की आशंका रहती है और इससे बैक्टीरिया इसकी कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह ज्यादा घातक साबित होती है.

6. ऑटोइम्यून डिसिज

यह ऐसी बीमारी है जो इम्यून सिस्टम पर अटैक कर शरीर के टिशूस को नष्ट करती है. ल्यूपस, मल्टीपल स्किलरोइसिस, मधुमेह जैसी कई बीमारियों के समूह को ऑटोइम्यून डिसिज की श्रेणी में माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक एक अनुमान है कि यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए ज्यादा घातक है क्योंकि 75 प्रतिशत ऑटोइम्यून डिसिज महिलाओं में पाई जाती हैं. ऐसे में महिलाओं को इस मामले में खास सावधानी बरतनी चाहिए.

7. स्ट्रोक

आज के दौर में महिलाओं में स्ट्रोक की समस्या भी काफी बढ रही हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार हो रही हैं जिसके पीछे की प्रमुख वजह आनुवांशिकता, फैमिली हिस्ट्री, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल माना जाता है. साथ ही महिलाएं अपने जीवनकाल में गंर्भनिरोधक दवाओं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, गर्भावस्था के दौर से भी गुजरती है जिससे यह खतरा और बढ जाता है. ऐसे में महिलाओं को इस मामले में खास सचेत रहने की जरूरत है.

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