छोटे से चीरे से भी संभव है रीढ़ के फ्रैक्चर का सफल इलाज, हड्डियों में सीमेंट भर किया जाता है मजबूत

आमतौर पर रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर किसी गंभीर चोट के लगने की वजह से होता है, लेकिन बुज़ुर्गों में मामूली चोट लगने से भी स्पाइन में फ्रैक्चर हो सकता है. बुढ़ापे में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और छोटी सी चोट लगने या गिरने से भी रीढ़ की हड्डी टूट सकती है. ऐसे में ब्रेसिंग के साथ महीनों का बेड रेस्ट या सर्जरी ही विकल्प रहते हैं.

अधिकांश लोगों में यह गलत धारणा बनी हुई है की स्पाइन सर्जरी करवाना सुरक्षित नहीं और इसके लम्बे समय में कई दुष्प्रभाव होते हैं. जबकि ऐसा नहीं है. स्पाइन में होने वाली गंभीर समस्याओं में सर्जरी भी कारगर है, बशर्ते जिस चिकित्सक से सर्जरी करवा रहे हैं वो अनुभवी हो. यदि इसमें देरी की जाए तो जिंदगी भर कई पीड़ाओं को सहना पड़ सकता है.

रीढ़ के ऑपरेशन को लेकर गलत धारणाओं के चलते आजकल लोग सर्जरी करवाने से कतराते हैं. ऐसे में रीढ़ में हुई समस्या और गंभीर रूप ले लेती है और उसका इलाज काफी जटिल होता जाता है. समय निकलने पर कई बार सफल इलाज संभव नहीं हो पाता और मरीज को जीवन भर पीड़ाएँ सहनी पड़ती हैं.

हड्डियों में सीमेंट भर होता है इलाज


पहले के समय में स्पाइन फ्रैक्चर होने पर मरीज को महीनों के लिए बिस्तर में पड़े रहना पड़ता था. ऐसे में खाने के लिए भी जरा सा उठना-बैठना बहुत दर्दनाक साबित होता था और साथ ही हिलने से हड्डियों व टिशूस का जुड़ना और भी मुश्किल हो जाता था. लेकिन अब फ्रैक्चर होने पर हड्डियों में सीमेंट भर बेहतर परिणाम पाए जा सकते हैं. डॉक्टरी भाषा में इस प्रक्रिया को काईफोप्लास्टी कहते हैं. पुरानी इलाज प्रणाली से मरीज के महीनो तक बिस्तर में पड़े रहने से अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता था. जैसे, डायबिटीज के मरीजों का न घूमने से शुगर असुंतलित होना, रक्तचाप बढ़ना या घटना, शारीरिक गतिविधि न होने से मांसपेशिओं का कमजोर होना और सूजन आना इत्यादि। लेकिन नई इलाज प्रक्रियाओं, मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी से छोटा सा चीरा लगाकर स्पाइन में हुए फ्रैक्चर का जल्द और कारगर इलाज संभव है.

स्पाइन फ्रैक्चर के उपचार में केवल फ्रैक्चर हुए हिस्से पर मामूली चीरा लगाकर बहुत पतली सुई डाली जाती है. इस मामूली सुई के द्वारा टूटी हुई हड्डी में गुब्बारा डालकर फुलाया जाता है ताकि हड्डी को प्राकृतिक अवस्था में लाया जा सके. इसके बाद टूटी हुई हड्डी में सीमेंट भर उसे मजबूत किया जाता है जिससे ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद मरीज का दर्द काफी कम हो जाता है. मामूली चीरा लगाकर, न्यूनतम रक्तस्राव के साथ यह इलाज होता है जिसमें मरीज अगले ही दिन अस्पताल से घर जा सकता है. यह एक सुरक्षित तकनीक है जिससे जल्द और कारगर इलाज संभव है.

डॉ. प्रवीण गुप्ता, स्पाइन सर्जन

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