इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में कारगर साबित हो रही LSTC-ED थैरेपी

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED), जिसे सामान्य भाषा में “नपुंसकता” भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष यौन उत्तेजना के दौरान इरेक्शन (लिंग में सख्ती) प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थ होता है। यह समस्या कभी-कभी हो सकती है या नियमित रूप से हो सकती है, और यह यौन संबंध को प्रभावित करती है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कारण शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली से जुड़े हो सकते हैं। वैसे तो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में दवाओं का इस्तेमाल और जीवनशैली में सुधार कर आवश्यक उपचार दिया जाता है लेकिन वर्तमान में LSTC-ED थैरेपी इसमें काफी कारगर साबित हो रही है।

LSTC-ED थैरेपी (Low-Intensity Shockwave Therapy for Erectile Dysfunction) एक नॉन-इनवेसिव (non-invasive) और ड्रग-फ्री उपचार है, जिसका उपयोग इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED) के इलाज के लिए किया जाता है। यह थैरेपी उन पुरुषों के लिए विशेष रूप से उपयोगी मानी जाती है जिन्हें रक्त प्रवाह से संबंधित समस्याओं के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होता है।

LSTC-ED थैरेपी का कार्यप्रणाली:
इस थैरेपी में निम्न-तीव्रता वाली शॉकवेव्स का उपयोग किया जाता है, जो लिंग के रक्त वाहिकाओं पर लागू होती हैं। इन शॉकवेव्स का उद्देश्य लिंग में नई रक्त वाहिकाओं (angiogenesis) का निर्माण करना और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाना है। इससे लिंग में खून का बहाव बेहतर होता है, जिससे इरेक्शन में सुधार होता है।

LSTC-ED थैरेपी के प्रमुख लाभ:
नॉन-इनवेसिव उपचार: इसमें किसी सर्जरी या दवा की जरूरत नहीं होती।
कोई साइड इफेक्ट नहीं: यह थैरेपी सुरक्षित मानी जाती है और इसके कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते।
नई रक्त वाहिकाओं का निर्माण: यह रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है, जिससे इरेक्शन अधिक प्रभावी हो सकता है।
दीर्घकालिक प्रभाव: कई मामलों में इसके परिणाम लंबे समय तक बने रहते हैं, खासकर जब कारण रक्त प्रवाह से जुड़ा होता है।

प्रक्रिया:
इस उपचार के दौरान लिंग पर शॉकवेव्स दी जाती हैं, और यह सत्र आमतौर पर 15-20 मिनट तक चलता है। लगभग 6-12 सत्रों की एक श्रृंखला की जरूरत होती है। यह थैरेपी दर्द रहित होती है, और रोगी को उपचार के बाद सामान्य रूप से दैनिक गतिविधियों में लौटने की अनुमति होती है। LSTC-ED थैरेपी खासतौर पर उन पुरुषों के लिए प्रभावी हो सकती है जिनका इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, या डायबिटीज के कारण हुआ है, क्योंकि इन स्थितियों में रक्त प्रवाह की समस्याएं आम होती हैं। हालांकि, यह थैरेपी हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती, और इसका प्रभाव व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। डॉक्टर से परामर्श लेना इस थैरेपी के लिए पहला कदम होना चाहिए।

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