शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा हाइपरयूरिसीमिया बीमारी को जन्म देती है। यूरिक एसिड शरीर में जाकर खून में मिल जाता है। खून में मिलकर किडनी से होता हुआ मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है, बाकि जो यूरिक एसिड शरीर में रह जाता है बाहर नहीं निकल पाता उससे खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। यूरिक एसिड की मात्रा जरुरत से ज्यादा होना शरीर को नुकसान पहुंचाकर हाइपरयूरिसीमिया की स्थिति पैदा करती है।
हाइपरयूरिसीमिया के लक्षण
कई बार लोगों को पता ही नहीं चल पता है कि यूरिक एसिड शरीर में बढ़ रहा है। लेकिन जब शरीर में तकलीफ होना शुरू हो जाती है तब इसका पता चलता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण निम्न हो सकते हैं।
1. जोड़ों में गठिया, सूजन, कठोरता हो सकती है।
2. जोड़ों की त्वचा लाल होने के साथ ही जलन महसूस होना।
3. गुर्दे में पथरी बनना, पथरी से पीठ के निचले भाग में दर्द होना, हाथ की बाजू में दर्द होना।
4. उलटी आना, बुखार होना।
5. पेशाब में खून आना और दर्द होना।
6. बार-बार जल्दी-जल्दी पेशाब आना।
7. यूरिक एसिड के बढ़ने से ह्रदय संबधी बीमारियां, हाई बी.पी., अपच, मधुमेह, फैटी लिवर की समस्या भी हो सकती है।
हाइपरयूरिसीमिया के कारण
1. इस बीमारी का कारण प्यूरिन हो सकता है। ये एक प्राकृतिक पदार्थ होता है। प्यूरिन शरीर में धीरे-धीरे टूटता है, जब ये टूटता है तो यूरिक एसिड बनता है। प्यूरिन का कम रहना शरीर के लिए सही है लकिन इसके बढ़ने से यूरिक एसिड भी बढ़ता है। कम प्यूरिन युक्त भोजन शरीर के लिए बढ़िया होता है।
2. मोटापा भी यूरिक एसिड को बढ़ा सकता है।
3. शराब का ज्यादा सेवन, हाइपर थायराइड यूरिक एसिड को बढ़ाता है।
हाइपरयूरिसीमिया (hyperuricemia) का उपचार और इसकी जांच दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। हाइपरयूरिसीमिया में शरीर में यूरिक एसिड का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, जो अक्सर गाउट (gout) या किडनी स्टोन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
जांच
यूरिक एसिड लेवल टेस्ट: हाइपरयूरिसीमिया की पुष्टि आमतौर पर एक साधारण रक्त परीक्षण से की जाती है, जिसमें यूरिक एसिड का स्तर मापा जाता है।
यूरिन टेस्ट: कभी-कभी, डॉक्टर 24 घंटे के लिए मूत्र का नमूना लेते हैं ताकि यह जांच सकें कि शरीर कितने यूरिक एसिड को उत्सर्जित कर रहा है।
अन्य परीक्षण: गाउट के मामलों में, जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल की उपस्थिति देखने के लिए एक जोड़ों की सुई से नमूना लिया जा सकता है। किडनी स्टोन के मामलों में, एक एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड की मदद से पत्थरों की उपस्थिति की जांच की जाती है।
उपचार
1- आहार में बदलाव:
पानी पीना: अधिक मात्रा में पानी पीने से यूरिक एसिड की अधिकता कम करने में मदद मिलती है।
प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ कम करें: मांस, समुद्री भोजन, और शराब जैसे प्यूरीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें। कम वसा युक्त आहार, कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट, ड्राई फ्रूट्स, सब्जियों में फूलगोभी, मटर, सेम, पालक, मशरूम, दालें व साबुत आनाज खाएं।
2- दवाएं:
यूरिक एसिड कम करने वाली दवाएं: जैसे कि ऑलोप्यूरिनोल या फैबूक्सोस्टैट, जो यूरिक एसिड के निर्माण को कम करने में मदद करती हैं।
गाउट के लिए विशिष्ट दवाएं: जैसे कि कॉल्चिसिन या एनएसएआईडी, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं।
वजन प्रबंधन: यदि आप अधिक वजन वाले हैं, तो वजन घटाने से भी यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
संपूर्ण जीवनशैली में बदलाव: नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और उचित नींद भी हाइपरयूरिसीमिया को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। अगर आप हाइपरयूरिसीमिया से संबंधित किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो एक डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा रहेगा ताकि उचित उपचार और प्रबंधन की योजना बनाई जा सके।