बाहर की गर्मी को तो कूलर, पंखा या एयरकंडीशनर से कम कर सकते हैं, पर शरीर के अंदर की गर्मी को दूर करना भी उतना ही जरूरी है। ऐसे में मौसम के अनुसार और घर में बनाए जाने वाले खाने से अपने शरीर को अच्छी ठंडक दे सकते हैं। शरीर को गर्मी से बचाकर ठंडक प्रदान करते के लिहाज से राबड़ी किसी वरदान से कम नहीं। भीषण गर्मी में यह शरीर में ठंडक देती है. यह स्वस्थ हड्डियों और दांतों के लिए उपयोगी कैल्शियम प्रदान करती है। यह आवश्यक खनिजों और विटामिन से भरपूर होती है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
राबड़ी कई प्रकार से बनाई जाती है। इसके अंदर छाछ की राबड़ी भी आती है। वैसे तो राबड़ी के अंदर छाछ का प्रयोग किया जाता ही है। लेकिन केवल छाछ की राबड़ी में छाछ का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है। इसमे खाटे का प्रयोग अलग से नहीं किया जाता है। छाछ की बनी राबड़ी पेट के अंदर जलन को शांत करती है। इसका सेवन करने से महिलाओं में रजोनिवृत्ति के पहले या बाद में जो गर्मी का अनुभव होता है, वह कम हो जाता है। कुछ लोगों को गर्मी अधिक लगती है तो राबड़ी उनके शरीर को शीतलता प्रदान करती है। ऐसे ही भारी भोजन करते हैं तो इसके बाद पेट फुला हुआ महसूस होता है। ऐसी स्थिति के ठंडी राबड़ी पाचन क्रिया को अच्छा करने मे मदद करती है। भारी भोजन के बाद जो सुस्ती महसूस करते हैं उसको छाछ की राबड़ी का एक गिलास दूर कर सकता है। इसमें बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और विटामिन-डी होते हैं। यह शरीर के अंदर विटामिन की कमी को दूर करने में मदद करता है।
जौ-गुली की राबड़ी
जौ को अंग्रेजी में बारले कहते हैं। जौ अनाज को कूटकर गुली बनाई जाती है, जिससे राबड़ी बनाते हैं। जौ खाने के फायदे खूब होते हैं। इस राबड़ी को खाने से पेट पूरी तरह भर जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं जो कि हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी-6 पाया जाता है। मधुमेह मरीजों को जौ युक्त अनाज का नियमित सेवन करना चाहिए। यह रक्त से इंसुलिन को कम करता है और मधुमेह से बचाता है। इसमें अच्छी मात्रा में खनिज पदार्थ पाया जाता है जो त्वचा को रेडिकल्स से नुकसान होने से बचाता है। वजन घटाने में भी यह कारगर रहता है। साथ ही हृदय रोग से बचाव करता है। जौ-गुली की राबड़ी को अधिकतर गर्मी के मौसम में लोग छाछ के साथ खाना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन यदि आप ठंडी चीजों से परहेज करते हैं या सर्दी-खांसी रहती है तो इसे दूध के साथ भी खा सकते हैं।
गेहूं की राबड़ी
भारत में नियमित रूप से अधिकतर लोग गेहूं का इस्तेमाल करते हैं। यह हर तरीके से फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम और कॉपर पाया जाता है। यह हमें कई बीमारियों से बचाता है और हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है। गेहूं की राबड़ी बनाना आसान होता है और इसे लोग खाना भी अधिक पसंद करते हैं क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बहुत फायदेमंद होती है।
पुदीना की राबड़ी
राबड़ी के अंदर पुदीना डालकर उसे पीते या खाते हैं। इससे वह अधिक स्वादिष्ट लगती है। इसके बहुत सारे फायदे भी होते हैं। राबड़ी बनाने के बाद उसके अंदर पुदीना डाल दिया जाता है। यदि आप भी राबड़ी के अंदर पुदीना डालकर खाते हैं तो उसके बहुत फायदे होते हैं। इसमें स्वाद के लिए हल्का जीरा भी डालकर पी सकते हैं।
ज्वार की राबड़ी
गर्मी के मौसम के लिहाज से ज्वार की राबड़ी बहुत हल्की होती है। आसानी से पच जाती है। छाछ मिलाकर इसका सेवन करने से यह पेट को बहुत हल्का रखती है और शरीर को भी शीतलता प्रदान करती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, पेट के भारीपन की समस्या से निजात दिलाती है।
रागी की राबड़ी
यह दक्षिण भारत के साथ मरुस्थलीय इलाकों में भी बहुत प्रचलित है। बहुत पौष्टिक होती है और मधुमेह रोगियों के लिए सबसे ज्यादा लाभप्रद है। पर ध्यान रहे बनने के साथ ही इसका सेवन ताजा-ताजा ही किया जाए। हल्का नमक, जीरा या पुदीना डालकर इसका स्वाद बढाया जा सकता है।