बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर दें ध्यान, अपनाएं यह 10 गोल्डन रूल्स

आज के वक्त में बच्चे की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और वो ज्यादातर वक्त गैजेट्स ​पर बिता रहे हैं. खासकर कोविड टाइम में घर के भीतर लगातार रहने, शारीरिक गतिविधियों के कम होने, ऑनलाइन क्लासेस, टीवी और इंटरनेट के एक्सेस यूज से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक हर चार में से एक बच्चा मानसिक बीमारी का सामना कर रहा है.

यूनीसेफ के मुताबिक ‘महामारी के नतीजे के रूप में तालाबन्दी और पाबन्दियों की परिस्थितियों के कारण करोड़ों बच्चों में अकेलेपन की भावना, भय और चिन्ता घर कर गए हैं. बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की ख़ातिर, इस महामारी से उबरने के लिये कहीं बेहतर तरीक़े सोचने होंगे. और ऐसा करने की शुरुआत इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देने के साथ ही हो सकेगी.’

ऐसे में इसका निदान और उपचार जल्द से जल्द किया जाए तो यह बच्चे के चहुंमुखी विकास में कारगत साबित होगा. चूंकि छोटे बच्चे अपने शब्दों में अपनी मनोस्थिति को स्पष्ट नहीं कर पाते तो उनके व्यवहार से हमें उनकी पीड़ा को समझना होगा.

 

10 गोल्डन रूल्स


1. अपने बच्चे को अपनी भावनाओं और विचारों के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें. वो अभिभावकों से अपने मन की बात करने में डरे नहीं बल्कि पूरे आत्म विश्वास से बात करे.


2. परिवार, सोसायटी, स्कूल फ्रेंड्स व अन्य लोगों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने के लिए उनका समर्थन करें.


3. उन्हें अपने शारीरिक स्वास्थ्य (नींद, भोजन, व्यायाम) की नियमित देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करें.


4. बच्चें की दिनचर्या में जल्दी सोना, जल्दी उठना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, खेल के जरिए शारीरिक एक्टिविटीज, सुपाच्य भोजन को शामिल करें.


5. बच्चों का टीवी देखने, मोबाइल और इंटरनेट यूज करने, ऑनलाइन क्वलासेज का समय निर्धारित हो. उनके सामने अभिभावक भी कम से कम टीवी, इंटरनेट, मोबाइल का इस्तेमाल करें और पूरा ध्यान अन्य गतिविधियों पर लगाएं. इस दौरान बच्चों को इनके इस्तेमाल से होने वाले खतरों से भी अवगत कराएं. बार बार शीतल जल से आंखें धोने के लिए प्रेरित करें.

6. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों का जीवन में क्या महत्व है यह उसकी उम्र के मुताबिक बहुत आसान भाषा और तरीकों से उसको समझाने का प्रयत्न करें.


7. जब आपका बच्चा चिंता या तनाव की स्थिति में नजर आए, तो एक अच्छे मित्र की तरह आगे बढकर उससे बात करें, उसकी समस्या सुनकर प्रभावी ढंग से समाधान में उनकी मदद करें. उसकी मनोस्थिति को समझकर वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने में उनकी सहायता करें.


8. अपने बच्चे के आत्म सम्मान का हमेशा सम्मान करें, उसकी बातों को सुनें, उसकी प्रशंसा करें, उसे प्रोत्साहित और प्रेरित करने के साथ नियमित रूप से उसका समर्थन करें. कुछ नकारात्मक बच्चा कर रहा है तो भी उसे डांट या फटकार के बजाए प्रेम से समझाने का प्रयास करें.


9. ब्रिथिंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए अभिभाव अपनी देखरेख में गहरी सांस लेने जैसी कुछ खेल खेल की गतिविधियों के जरिए उसको प्रेरित करें.


10. जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, उसको आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करें. और इस कार्य में उसके मार्ग दर्शन के साथ उसका समर्थन भी करें.

: डॉ. रोहित गुप्ता, नवजात शिशु-बाल रोग विशेषज्ञ

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