ओमिक्रोन V/S डेल्टा वैरिएंट, जानें किसमें कितना है दम?

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन इस वक्त दुनिया में सबसे बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है. लगातार इसके मामले बढते जा रहे हैं. अब तक हुए रिसर्च और एक्सपर्ट व्यू के मुताबिक जो तथ्य सामने आए हैं उसके जरिए समझा जा सकता है कि मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिहाज से कोरोना के ओमिक्रोन और डेल्टा वैरिएंट में कितना अंतर है?

ओमिक्रोन V/S डेल्टा वैरिएंट

1. ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण गले में पनपता है. इस संक्रमण से काफी हद तक फेफड़े सुरक्षित रहते हैं. जबकि डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण में फेफड़ों पर सीधा असर पड़ता था और सांस लेने में तकलीफ होती थी. ऑक्सीजन की मांग दूसरी लहर में अचानक बढ़ने की यह प्रमुख वजह थी.

2. ओमिक्रोन संक्रमण में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ नहीं होती पर जोड़ों में दर्द, थकान, जुकाम, सिरदर्द इसके लक्षण हैं जबकि डेल्टा वैरिएंट के मामले में मरीजों के स्वाद और सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती थी.

3. ओमिक्रोन से संक्रमित होने पर थकान के साथ-साथ हृदयगति तेज हो सकती है. गले में खरास की शिकायत भी हो सकती है लेकिन ऑक्सीजन के स्तर में कमी नहीं देखी गई है. साथ ही स्वाद और गंध की क्षमता पर भी असर नहीं पड़ता है.

4. ओमिक्रोन के केस में इसके लक्षण वायरल इंफेक्शन की तरह लगते हैं और फेफड़ों तक इसके संक्रमण के न पहुंचने के कारण यह डेल्टा वैरिएंट की तरह गंभीर नहीं माना जा रहा है. लेकिन, यह डेल्टा की तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक है यानी यह वैरिएंट तेजी से बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकता है.

5. कोविड की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट के कारण आई थी और उस वक्त बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई थी. इस लहर के कमजोर पड़ने पर डेल्टा वैरिएंट के साथ-साथ ब्लैक फंगस भी फैलने लगा था, लेकिन ओमिक्रोन के मामले में ऐसा नहीं है. कोरोना के इस नए वैरिएंट के संक्रमण के मामले में मृत्यु दर भी काफी कम है.

6. ओमिक्रॉन भले ही डेल्टा के मुकाबले तेजी से फेल रहा हो, लेकिन संक्रमण के बाद मरीज को अस्पताल में दाखिल करने के मामले बेहद कम हैं. इसकी वजह है ओमिक्रॉन की बनावट, जिसकी वजह से ये मरीज के गले के नीचे जा नहीं पाता है और इससे फेफड़े बच जाते हैं. जबकि डेल्टा का वायरस नाक या मुंह के जरिए गले में जाकर अपनी संख्या बढ़ाता था और फिर वो फेफड़े में दाखिल हो जाता था. इससे मरीज की हालत खराब हो जाती थी और उसे अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ता था.

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