1. कर्कोटकी को हिन्दी में ककोरा कहते हैं.
2. इसकी प्रकृति थोड़ी कड़वी, मधुर, गर्म तासीर वाली होती है.
3. ककोरा का प्रयोग हम साग के रूप में करते हैं.
4. इसमें गाजर के जैसी बहुवर्षायु जड़ होती है.
5. ककोरा की लता भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा रेतीली भूमि में पाई जाती है.
6. प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, बी12, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन डी2 और 3, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, विटामिन एच, विटामिन के, कॉपर, जिंक से भरपूर.
7. वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को हरने वाला, पाचन शक्ति और खाने में रूची बढ़ाने वाला, वृष्य, ग्राही, रक्तपित्तहर, हृदय के लिये उपकारी होता है.
8. सिरदर्द, कानदर्द, खांसी, उदर रोग, बवासीर, खुजली, बालों का झड़ना, श्ंवास, मूत्र रोग, बुखार, मधुमेह आदि बीमारियों में फायदेमंद है.
9. ककोरा के पत्ते वीर्यवर्धक, रुचिकारक, त्रिदोष दूर करने वाले, कृमि, ज्वर, क्षय, श्वास, कास, हिक्का तथा पाइल्स में फायदेमंद होते हैं.
10. विशेषज्ञों के मुताबिक ककोरा में एंटीकैंसर गुण होते हैं, जिससे कैंसर होने की संभावना कम होती है. शरीर में कैंसर को फैलने से भी रोकने में मदद करता है.