हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में विटामिन्स की बड़ी भूमिका है। इनमें विटामिन A, B, C, D, E प्रमुख हैं, लेकिन Vitamin-K की भूमिका भी हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। विटामिन K एक वसा-घुलनशील (फैट सॉल्युबल) विटामिन है जो ऐसे प्रोटीन्स का निर्माण करता है जिनकी मदद से ब्लड क्लॉटिंग और हड्डियां (बोन टिश्यू) बनते हैं। इसकी कमी से चोट के बाद खून के थक्के जमने में वक्त ज्यादा लगता है, ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है और ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियां कमजोर होना) हो सकता है।
विटामिन K से दिल का रिश्ता
बड़े तौर पर विटामिन K चोट लगने के बाद खून का थक्का जमने और हड्डियों के नए टिश्यूज के निर्माण में मदद करता है लेकिन इसका हमारे दिल से भी रिश्ता है। कुछ रिसर्च और स्टडीज में पाया गया है कि यह विटामिन मेट्रिक्स जीएलए प्रोटीन्स (MGP) बनाता है जो हृदय की धमनियों को केल्सीफाई या कड़ा होने से रोकता है। धमनियों का कड़ा होना भी हृदय रोगों का अहम कारण है।
किन्हें हो सकती है कमी?
आमतौर पर वयस्क लोगों में इसकी कमी नहीं पाई जाती है लेकिन कभी-कभी एंटीबायोटिक्स विटामिन K के निर्माण को रोक देती हैं। इसके कारण भोजन से विटामिन K का अवशोषण कम हो जाता है। नवजात बच्चों में भी इसकी कमी हो जा सकती है क्योंकि विटामिन K गर्भनाल (प्लेसेंटा) को पार नहीं कर पाता और मां के दूध में इस विटामिन की मात्रा काफी कम होती है।
विटामिन-K पाने के लिए क्या करें?
आमतौर पर विटामिन K हरी पत्तेदार सब्जियों, जैसे पालक, पत्तागोभी, ब्रॉकली, लेट्यूस, शलजम के पत्ते, केल, सोयाबीन, कनोला ऑयल, फर्मेंटेड सोयाबीन, कम मात्रा में मांस, मछली और पनीर या चीज में पाया जाता है। चूंकि विटामिन K फैट-सॉल्यूबल है इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियों से बने सलाद में थोड़ा ऑयल भी मिलाया जा सकता है ताकि वह शरीर में जल्द अवशोषित हो जाए।
हमारे पेट में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरिया भी विटामिन K बनाते हैं। एंटीबायोटिक दवाएं पेट में इनकी तादाद कम कर सकती है। इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर की राय से कुछ सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं।
कितना विटामिन K जरूरी ?
वयस्कों को प्रतिदिन 120 माइक्रोग्राम जबकि महिलाओं को 90 माइक्रोग्राम मात्रा में इस विटामिन की जरूरत होती है।