क्या है स्वर्ण प्राशन? जो बच्चों को बलवान, बुद्धिमान, सक्रिय बनाने में मददगार है

हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा जन्म के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ और मजबूत बने. वो निरोगी रहे, बीमारियों से लड़ने की क्षमता मजबूत हो. आयुर्वेद में कुछ ऐसे प्राचीन नुस्खे और संस्कार हैं जो बच्चों के लिए इस दिशा में मददगार हैं. इन्हीं में से एक प्रमुख है स्वर्ण प्राशन (Swarna prashan) जो कि सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है. बच्चे के जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक इस संस्कार को अपनाया जाता है. इसे आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्रमुख धरोहर माना जाता है. जो बच्चे में शारीरिक, मानसिक विकास के साथ रोगों से लडने की शक्ति पैदा करने वाला अहम हथियार है. ऋषि मुनियों के काल से चली आ रही यह कई हजार वर्षों पुरानी एक आयुर्वेदिक औषधि है. जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक हर बच्चे को स्वर्ण प्राशन कराया जा सकता है इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि यह प्रक्रिया किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ या प्रशिक्षित डॉक्टर की निगरानी में ही सम्पन्न की जाए.

7 चमत्कारी फायदे


1. बालक की बुद्धि, मन, बल, पाचन शक्ति मजबूत कर शरीर का चहुंमुखी विकास करे.

2. 6 माह तक नियमित सेवन से स्मरण शक्ति में बढ़ोत्तरी.

3. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाए, बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है.

4. शरीर बलिष्ट और आकर्षक बनाए.

5. मानसिक रूप से बच्चों को मजबूत कर चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव दूर करने में मददगार.

6. महामारी के दौर में कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करे.

7. मौसमी बीमारियों के खतरे के बीच बच्चे को मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करे.

 

कैसे तैयार किया जाता है?


जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है स्वर्ण प्राशन यानी स्वर्ण (सोना) का सेवन. इसमें स्वर्णभस्म के साथ अश्वगंधा, शहद, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, आमला, गुडुची, बहेड़ा, वचा, गिलोय, गाय का घी सहित कई प्रमुख जड़ी बूटियां निश्चित मात्रा में मिलाई जाती है और एक आयुर्वेदिक रसायन तैयार किया जाता है. इसमें मिलाई जाने वाली जड़ी बूटियां और आवश्यक सामग्री वो होती है जो बच्चों के चहुंमुखी विकास में कारगर है. रसायन तैयार होने के बाद बच्चे को पुष्य नक्षत्र के दौरान इसका सेवन कराया जाता है. आयुर्वेद विशेषज्ञ इसे बेहद असरकारक इम्युनिटी बूस्टर औषधि के रूप में भी देखते हैं.

 

क्या लिखा है शास्त्रों में


शास्त्रों में लिखा है​ कि स्वर्ण प्राशन मेघा (बुद्धि), अग्नि (पाचन) और बल बढ़ाने वाला होता है. यह आयुष्य बढ़ाने वाला, कल्याणकारी, पुण्यकारक, आकर्षण प्रदान करने वाला होता है. इसके अलावा ग्रहपीड़ा (करनी, भूतबाधा, शनि) दूर करने वाला होता है. बच्चों में एक महीने तक रोजाना स्वर्ण प्राशन देने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है. और कई रोगों से उनकी रक्षा होती है. 6 महीने तक इसका उपयोग करने से बच्चे श्रुतधर (एक बार सुनाने पर याद होने वाले) बन जाते हैं.

: वैद्य घनश्याम शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ

India Health TV

subscribe now