क्या है एक्यूट लिवर फेलियर? जानें लक्षण, कारण और उपचार

एक्यूट लिवर फेलियर वो स्थिति है जहां किसी सामान्य जीवन जी रहे व्यक्ति का लिवर अचानक फेल हो जाता है और मरीज को संभलने का भी मौका नहीं मिलता, लिवर रिकवरी के चांस ना के बराबर होते हैं। मरीज कोमा में चला जाता है, सांस लेने में तकलीफ होती है और कुछ ही घंटों या दिनों में ट्रांसप्लांट ना किया जाए तो मरीज की जान जा सकती है।

एक्यूट लिवर फेलियर में लिवर का एक बड़ा हिस्सा अचानक खराब हो जाता है। लिवर कार्य करने में सक्षम नहीं होता और इसका इलाज संभव नहीं होता है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है, इसमें तुरंत चिकित्सक उपचार आवश्यक होता है। समय रहते लिवर ट्रांसप्लांट इसका एकमात्र उपचार है।

एक्यूट लिवर फेलियर के बारे में विस्तार से जानें इससे पहले यह समझ लेना भी जरूरी है कि लिवर का फंक्शन क्या होता है। लिवर को शरीर में मौजूद दूसरा सबसे जरूरी अंग माना जाता है। जो हम खाते पीते हैं उन जिन चीजों को ऊर्जा में परिवर्तित करने और भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने जैसे काम लिवर द्वारा किये जाते हैं। कई बार असंतुलित खानपान, आधुनिक जीवनशैली, अधिक शराब और दूषित पानी के सेवन की वजह से लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जिससे कई बार लिवर काम करना बंद कर देता है।

लिवर फेलियर के 2 प्रकार
1. एक्यूट लिवर फेलियर (Acute Liver Failure)
इसमें लिवर बहुत तीव्र गति से अचानक खराब हो जाता है। पीलिया, लीवर एंजाइम, थक्के विकार जैसे कुछ लक्षण अचानक दो से तीन दिन या एक सप्ताह के अंदर दिखाई देने लगते हैं। अगर तत्काल इलाज नहीं किया जाता तो, यह घातक हो सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। एक्यूट लिवर फेलियर किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है।

2. क्रॉनिक लिवर फेलियर (Chronic Liver Failure)
यह वो स्थिति है जहां लिवर धीरे धीरे डैमेज होता है। इसके लक्षण कुछ महीनों या वर्षों के अंदर दिखाई दे सकते हैं। क्रॉनिक लिवर फेलियर का मुख्य कारण फैटी लिवर माना जाता है। शराब पीना, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी भी क्रॉनिक लिवर फेलियर के कारण हो सकते हैं। हालांकि यह स्थिति एक्यूट लिवर फेलियर की तुलना में अचानक जानलेवा नहीं होती पर यहां भी उपचार में देरी या अनदेखी घातक हो सकती है।

एक्यूट लिवर फेलियर लक्षण
शरीर कमजोर हो जाता है और पीड़ित भ्रम की स्थिति का सामना करता है। आंखों का पीला होना या पीलिया की समस्या इसका एक प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा पेट में सूजन और दाहिने भाग में गंभीर दर्द महसूस होता है। उल्टी और मतली की समस्या, सांस लेने में तकलीफ, पेट से जुड़े रोग भी इसके लक्षण हैं।

एक्यूट लिवर फेलियर कारण
इसमें लिवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और इसकी वजह से ​लिवर काम करना बंद कर देता है। काफी हद तक दवाओं का सेवन, हेपेटाइटिस की बीमारी और खानपान को भी इसके लिए जिम्मेदार माना गया है। कुछ दवाओं के ओवरडोज होने की वजह से एक्यूट लिवर फेलियर की समस्या हो सकती है। इसमें एंटीबायोटिक्स, नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और एंटीकॉन्वेलेंट्स ड्रग्स का गलत तरीके से सेवन प्रमुख है। शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता के अलावा कैंसर रोग, सेप्सिस जैसे संक्रामक रोग, अत्यधिक गर्म मौसम में रहना, हेपेटाइटिस इन्फेक्शन के कारण भी एक्यूट लिवर फेलियर हो सकता है।

उपचार
एक्यूट लिवर फेलियर में तुरंत चिकित्सक के पास उपचार लेने पहुंचे। इस स्थिति में चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा सबसे पहले ब्लड टेस्ट और कुछ इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। ताकि समस्या के कारणों का पता लगाया जा सके। कुछ मामलों बायोप्सी जांच भी कराई जाती है। हालांकि पहले चिकित्सक द्वारा इलाज के लिए कुछ दवाएं दी जाती है लेकिन गंभीर स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट ही एक कारगर उपाय माना गया है। इसमें खराब हुआ लिवर निकाला जाता है और डोनर से प्राप्त लिवर का हिस्सा मरीज के प्रत्यारोपित किया जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट के बाद करीब 4 से 6 माह आपको रिकवरी या सामान्य दिनचर्या जीने में लग सकते हैं। लिवर ट्रांसप्लांट के साथ ही खानपान में सुधार और अच्छी जीवनशैली की पालना के लिए निर्देशित किया जाता है।

: डॉ. नैमिश मेहता, मुख्य लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जन,

                 महात्मा गांधी अस्पताल

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